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जब सारे जीत रहे हैं तो हार कौन रहा है ?

पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद अब सरगर्मी है एग्जिट पोल की। सारे दल और उनके नेता-प्रवक्ता अपनी सरकार बनते देख और दिखा रहे हैं। हारने का तो कोई नाम ही नहीं ले रहा। अब जब सब जीत ही रहे हैं तो हार कौन रहा है? एक बड़ा प्रश्न है ये जिसका जवाब हमारी भोली जनता हर चुनाव में ढूंढ़ती है पर उनके हाथ कुछ नहीं आता। न जाने वो कब समझेगी कि जीते चाहे जो दल, हर बार हारती वही है।

बहरहाल, तमाम एग्जिट पोल का निचोड़ निकाल कर देखें तो भाजपा नि:संदेह फायदे में है। एक पंजाब को छोड़कर, जहां कांग्रेस और आप की टक्कर है और उसे मुंह की खानी पड़ रही है, बाकी राज्यों में वो सबसे बड़े दल के रूप में उभर रही है। पर जनाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड पर नज़र किसकी है, सांसे तो सबकी रोक रखी है उत्तर प्रदेश ने। एग्जिट पोल के बाद यहां की जो तस्वीर सामने आ रही है, उसके मुताबिक भाजपा पहले, सपा-कांग्रेस गठबंधन दूसरे और बसपा तीसरे स्थान पर है। न्यूज़ 24 और आजतक के मुताबिक भाजपा लगभग 300 सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है, लेकिन शेष सारे चैनल भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन में कांटे की टक्कर बता रहे हैं और इस टक्कर में ये दोनों बहुमत के आंकड़े से दूर हैं। अगर ऐसा होता है तो फिर ‘बहनजी’ की चांदी है क्योंकि तब सरकार बनाने की कुंजी उनके हाथ में होगी।

इन तमाम कयासों के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि इस बार के एग्जिट पोल का हश्र बिहार जैसा होगा। बकौल राहुल उनका गठबंधन जीत रहा है। राहुल ने जहां एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया, वहां सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने तो इन्हें पूरी तरह फर्जी ही करार दे दिया। रामगोपाल ने कहा – ‘मेरे पास सूचना है कि चैनलों ने दबाव में आकर कुछ दिन पहले ऑरिजनल एग्जिट पोल्स को बदल दिया।’

वैसे इस बीच का एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है अखिलेश यादव द्वारा सेक्युलर एकता का पासा फेंकना। एग्जिट पोल में अपने गठबंधन को पिछड़ता देख उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक साथ आना होगा। कहने की जरूरत नहीं कि उनका स्पष्ट इशारा मायावती की बहुजन समाज पार्टी की तरफ है। उधर बसपा का इस प्रस्ताव पर कहना है कि पार्टी पहले नतीजों का इंतजार करेगी। बाकी पार्टियों की तरह भले ही बसपा भी सारी पार्टियों के सफाये और अपनी सरकार बनने का दावा कर रही हो, लेकिन ‘आंखों ही आंखों में इशारे’ को वो भलीभांति समझ रही है।

बहरहाल, इंतजार की घड़ियां खत्म होने को हैं। सबके दावों की असलियत अगले 24 घंटों में सामने आ ही जानी है। समझदारी इसी में है कि हम नतीजों का इंतजार करें और प्रार्थना करें कि जीते चाहे जो भी, बस हमारी महान पर हर मोर्च पर बेबस जनता न हारे।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप 

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