प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना का जो सपना पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देखा था, वह पूरा हुआ। नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह के साथ करीब आठ सदी के बाद नालंदा के गौरवशाली इतिहास ने एक बार फिर करवट लिया। काश कि ‘मिसाईलमैन’ जीवित होते और इस ऐतिहासिक समारोह की शोभा बढ़ाते! खैर, वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीते शनिवार को आयोजित भव्य दीक्षांत समारोह में 12 छात्रों को सम्मानित किया और इसके साथ ही युगपुरुष डॉ. कलाम की परिकल्पना हकीकत में तब्दील हो गई।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीक्षांत समारोह में इस विश्वविद्यालय के निमित्त डॉ. कलाम के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि आज भले ही नालंदा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का आयोजन हो रहा हो परन्तु इसको पुनर्जीवित करने की परिकल्पना का श्रेय कलाम साहब को जाता है। बता दें कि 28 मार्च 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने अपने बिहार दौरे के क्रम में इस प्राचीन विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने की सलाह दी थी। यह विचार उन्होंने बिहार विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए रखा था।
गौरतलब है कि पाँचवीं सदी में बने नालंदा विश्वविद्यालय में करीब दस हजार छात्र पढ़ते थे, जिनके लिए 1500 अध्यापक हुआ करते थे। छात्रों में अधिकांश एशियाई देशों चीन, कोरिया, जापान से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे। इतिहासकारों के मुताबिक चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी में नालंदा में शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक में नालंदा विश्वविद्यालय की भव्यता का उल्लेख किया है।
एक समय नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा शिक्षण-केन्द्र था, परन्तु 1200 ई. में बख्तियारपुर खिलजी के आक्रमण के दौरान यह विश्वविद्यालय पूर्णत: धरती के गर्भ में समा गया। हाल ही में यूनेस्को ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर को विश्व धरोहर (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) में शामिल किया है। 446 एकड़ में बनने जा रहे वर्तमान विश्वविद्यालय का निर्माण-स्थल प्राचीन विश्वविद्यालय के इस खंडहर से करीब 10 किलामीटर दूर राजगीर में है। दीक्षांत समारोह में भाग लेने आए राष्ट्रपति ने राजगीर के पिल्खी गांव में विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर की आधारशिला भी रखी। अभी यह विश्वविद्यालय एक सरकारी भवन में चलाया जा रहा है।
विश्वविद्यालय की कुलपति गोपा सबरवाल ने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय के पहले सत्र में दो विषयों में तीन देशों के 12 छात्र थे, जबकि वर्तमान सत्र में तीन विषयों में 13 से अधिक देशों के 130 छात्र-छात्राएं हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यहाँ आठ से ज्यादा विषयों की पढ़ाई होगी और 1600 छात्र नामांकित होंगे। दीक्षांत समारोह के मौके पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जॉर्ज यीओ, पूर्व कुलाधिपति अमर्त्य सेन एवं सदस्य लॉर्ड मेघनाद देसाई समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप