यू.जी.सी. नई दिल्ली द्वारा निर्धारित “भ्रष्टाचार: कारण व निवारण” विषय पर मधेपुरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार एवं सेमिनार के सह-संयोजक डॉ.पूनम यादव ने बड़े ही मनोयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का भव्य आयोजन किया जिसमें बी.एन.एम.यू. के प्रतिकुलपति डॉ.जयप्रकाश ना.झा, बलिया उत्तर प्रदेश के जिला न्यायाधीश डॉ.रामलखन सिंह यादव, झारखण्ड के सिद्धू कानू वि.वि. के ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री डॉ.नागेश्वर शर्मा, मंडल वि.वि. के शिक्षाविद डॉ.ब्रह्मदेव साह, डॉ.अशोक कुमार आलोक, डॉ.नरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रो.शचीन्द्र, प्रो.सच्चिदानन्द, डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी सहित स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्री डॉ.आर.के.पी.रमण, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.विनय कुमार चौधरी, समाजशास्त्री डॉ.आलोक कुमार, डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ.मुस्ताक, प्रो.मनोज भटनागर, डॉ.भगवान् कुमार मिश्र, प्रो.मणिभूषण वर्मा, प्रो.अजय कुमार, आदि द्वारा भ्रष्टाचार को समाज के लिए कैंसर करार देते हुए उसके कारण एवं निवारण पर दो दिनों यानी 20 एवं 21 फरवरी को कई सत्रों में विस्तार से चर्चाएँ हुई | अलग-अलग हॉल में शोधार्थियों द्वारा आलेख प्रस्तुत/वाचन किये गये |

इस राष्ट्रीय सेमिनार में पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, अररिया, खगड़िया जिले के अतिरिक्त सम्पूर्ण बिहार के शोधार्थी, शिक्षक एवं इच्छुक छात्र-छात्राएँ भी भाग लिए | सौ से अधिक शोधार्थियों की भागीदारी हुई | सबों ने अपने आलेख के माध्यम से यही कहा कि भ्रष्टाचार घुन की तरह समाज को निष्प्राण कर रहा है | भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सबों को मिलकर संघर्ष करना होगा |

न्यायविद डॉ.रामलखन सिंह यादव ने न्यायिक सन्दर्भ के साथ-साथ आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक व शैक्षिक सन्दर्भों आदि की भी विस्तार से चर्चाएँ की और कहा कि भ्रष्टाचार की जड़ में राजनेताओं की सोच है | वहीं डॉ.नागेश्वर शर्मा द्वारा आजादी के बाद से अबतक के तमाम अनगिनत घोटालों का विस्तार से चर्चाएँ की गयी | प्रतिकुलपति डॉ.जयप्रकाश ना.झा ने भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए ट्रेन में चेन पुल करने की भी बातें कही | संपादक चंदन शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार की जड़ में जनता है जो हर जुल्म को सहते आ रही है जबकि देश में भ्रष्टाचार की स्थिति विस्फोटक है |
स्थानीय शिक्षा शास्त्रियों- प्रो.शचीन्द्र, अर्थशास्त्री प्रो.सच्चिदानन्द ने विस्तार से क्रमशः धार्मिक एवं आर्थिक संदर्भों की व्याख्या करते हुए भ्रष्टाचार के छोटे-बड़े उदाहरणों को प्रस्तुत किया |

समाजसेवी व भौतिकी के विद्वान् डॉ.मधेपुरी ने समाजवादी मनीषी भूपेन्द्र नारायण मंडल एवं भारतरत्न डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के साथ बिताये गये मार्मिक क्षणों को उद्घाटित किया और कहा कि ऐसे सहज जीवन के धारकों की जीवनी स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किये जाँय | उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के पूर्व न जाति थी और न पार्टी, बल्कि आजादी जैसे ऊँचे उद्देश्य की प्राप्ति के समक्ष- भ्रष्टाचार भी विलीन हो गया था | आजादी के बाद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसे किसी उद्देश्य के लिए देश को जगाया नहीं जा सका जिसके कारण लोगों ने खुद को आंतरिक विकारों के अधीन करके भ्रष्टाचार को गले लगा लिया | निवारण के लिए आर्थिक असमानता को दूर करना होगा तथा त्याग व आत्म नियंत्रण को गले लगाना होगा | डॉ.मधेपुरी ने इस सेमिनार में आयोजित कविगोष्ठी एवं मुशायरा में अपनी जिन पंक्तियों के माध्याम से तालियाँ बटोरी- वे हैं :-
आजादी मिल गई हमें, पर हम अपनी पहचान भुलाये |
ऊपर से हम कहें बुरा, पर लूट हमें अन्दर से भाये ||
लो मिली मुल्क को आजादी, सचमुच हम आजाद हो गये |
पूर्वज की गौरव समाधि पर, लेकिन हम सौ बार रो गये ||
कविगोष्ठी में रांची के मो.अनवर, सैयद अख्तर, मनीभूषण वर्मा, जयश्री, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.इन्द्र ना.यादव, मनोज झा, भारती-आरती-अपर्णा आदि ने भाग लिया तथा मंच संचालन डॉ.काश्यप एवं डॉ.विनय कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से किया | सुधि श्रोता के रूप में डॉ.अमोल राय, डॉ.नूतन आलोक, डॉ.वीणा कुमारी, डॉ.अर्जुन, प्रो.एन.के.सिंह, प्रो.शोभा कुमारी, प्रो.अभय कुमार, डॉ.बद्री नारायण यादव, प्रो.आशा शर्मा, नन्द किशोर यादव, सचिव सच्चिदानन्द, डॉ.अरुण कुमार आदि अंत तक जमे रहे |