कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार-इतिहासकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ की अध्यक्षता में मैथिल कोकिल महाकवि विद्यापति की भावभीनी जयन्ती मनाई गई, जिसमें टी.पी.कॉलेज के मैथिली विभागाध्यक्ष एवं हिन्दी-मैथिली में “लोक जीवन में संस्कार गीतक महत्व” के रचनाकार डॉ.अमोल राय द्वारा- भक्ति, सौंदर्य एवं प्रेम के महान गायक विद्यापति पर मनभावन आलेख का पाठ किया गया |
इस अवसर पर जहाँ तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति डॉ.के.के.मंडल ने डॉ.अमोल राय के आलेख की भरपूर प्रशंसा की तथा आशीर्वचन देते हुए कहा कि उनकी इस रचना पर BHU में शोधकार्य की भूमिका तैयार हो रही है….. वहीं सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने बीएनएमयू के सी.सी.डी.सी. रह चुके डॉ.अमोल राय को अंगवस्त्रम-पाग-बुके आदि से सम्मानित करते हुए महाकवि विद्यापति की शिवभक्ति पर कई मार्मिक प्रसंगों की चर्चाएं की | चर्चा को बढ़ाते हुए विदुषी डॉ.शांति यादव ने डॉ.राय के आलेख पाठ की विस्तृत चर्चा एवं सराहना करते हुए कहा कि महाकवि विद्यापति का यश अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार कर चुका है | इनके गीत बिहार, बंगाल, उड़ीसा………. आदि में ही नहीं बल्कि नेपाल, फीजी, मॉरिशस……. आदि देशों में रहनेवाले भारतीय मूल के लोग नित्यप्रति गाया करते हैं | इसी कड़ी में डॉ.विनय कुमार चौधरी, प्रो.शचीन्द्र महतो, प्रो.मणिभूषण, त्रिवेणीगंज से आये सुरेन्द्र भारती आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये |

अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्यकार शलभ ने कहा कि विद्यापति आदिकाल और वीरगाथा काल के प्रतिनिधि कवि थे | उन्होंने संस्कृत, अबहट और हिंदी साहित्य के आदिकाल पर वृहद प्रकाश डालते हुए कहा कि विद्यापति ने जहाँ आदिकाल के लिए ‘कीर्तिलता’, ‘कीर्तिपताका’ की रचना की वहीं भक्तिकाल के लिए ‘पदावली’ के अनेक भक्ति गीतों की, जहाँ उन्होंने रीतिकाल के लिए राधाकृष्ण के प्रेम-श्रृंगार के पद रचे वहीं आधुनिक काल के लिए उनकी सारी रचनाएं समीचीन हैं | कवि शलभ ने यहाँ तक कह डाला कि विद्यापति में संपूर्ण मिथिला की सांस्कृतिक विरासत सन्निहित है, जीवित है…….|
आयोजन के दूसरे सत्र में सुकवि तारानन्दन तरुण एवं गजलकार वसंत की स्मृति में कविगोष्ठी का सफल संचालन किया डॉ.विनय कुमार चौधरी ने और अपनी एक-एक प्रतिनिधि कविता का पाठ किया- डॉ.शांति यादव, सुरेन्द्र भारती (त्रिवेणीगंज), सम्मेलन के सचिव डॉ.मधेपुरी, अभिनंदन मंडल, आशीष मिश्रा, राकेश कुमार ‘द्विजराज’, संतोष सिन्हा, राजू भैया, मणिभूषण वर्मा, डॉ.आलोक कुमार, दशरथ प्रसाद सिंह ‘कुलिश’, डॉ.अरुण कुमार, सियाराम यादव ‘मयंक’, उल्लास मुखर्जी…….. आदि | सुधि श्रोता के रूप में भोला प्रसाद सिन्हा, बलभद्र यादव, प्राण मोहन, शिवजी साह, पारोजी, रघुनाथ प्रसाद यादव, तारा शरण……… आदि अंत तक रहे |
कार्यक्रम की सफलता के लिए तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक एवं सम्मेलन के उपसचिव श्यामल कुमार ‘सुमित्र’ सहित उपस्थित विद्वान एवं साहित्यनुरागियों को सचिव डॉ.मधेपुरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर अध्यक्ष के निदेशानुसार समारोह की समाप्ति की घोषणा की गई |