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शिवनंदन बाबू आजीवन औरों के लिए जीते रहे- डॉ.मधेपुरी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा एवं बिहार के प्रथम विधि मंत्री रह चुके शिवनंदन प्रसाद मंडल की 128वीं जयन्ती उन्हीं के नामवाले एसएनपीएम +2 स्कूल में प्राचार्य मो.शकील अहमद की अध्यक्षता में मनाई गई |

बता दें कि इस अवसर पर सर्वप्रथम जयन्ती समारोह के उद्घाटनकर्ता समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, मुख्यअतिथि प्रो.श्यामल किशोर यादव एवं विशिष्ट अतिथि प्रमंडलीय सचिव परमेश्वरी प्रसाद यादव व समाजशास्त्री डॉ.आलोक कुमार सहित स्कूल के प्रायः सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं द्वारा परिसर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की गई | उसके बाद स्कूल के के हॉल में उनके भव्य तैल चित्र पर अतिथियों सहित सभी गणमान्यों एवं शिक्षक-छात्रों द्वारा पुष्पांजलि करते हुए बारी-बारी से उद्गार व्यक्त किया गया |

Educationist Dr.Bhupendra Madhepuri and others paying homage to Shiv Nandan Prasad Mandal Pratima at SNPM +2 High School, Madhepura.
Educationist Dr.Bhupendra Madhepuri and others paying homage to Shiv Nandan Prasad Mandal Pratima at SNPM +2 High School, Madhepura.

जानिए कि अपने विस्तृत संबोधन में उद्घाटनकर्ता डॉ.मधेपुरी ने कहा कि पटना के गांधी संग्रहालय की एक पट्टिका में अंकित 56 नामों को आधुनिक बिहार के निर्माताओं की सूची के रुप में प्रदर्शित किया गया है | जिसमें एक ही नाम ऐसा है जो हर कोसीवासी एवं मधेपुरावासी को गौरव से भर देता है और वह नाम है- क्रान्तिवीर शिवनंदन प्रसाद मंडल | डॉ.मधेपुरी ने कहा कि बाबू शिवनंदन प्रसाद मंडल आजीवन औरों के लिए जीते रहे इसीलिए वे अमर हैं और रहेंगे भी | मरता तो वह है जो अपनों के लिए जीता है | अंत में डॉ.मधेपुरी ने प्राचार्य मो.शकील को शिवनंदन बाबू की जीवनी “इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल” की स्वलिखित कुछ प्रतियां जो ₹5000 की पुस्तकें होंगी पुस्तकालय हेतु दानस्वरूप भेंट की ताकि बच्चे उनके बारे में बहुत कुछ जान सकें | यह भी कि वे सो गये थे इसलिए 01 अप्रैल 1954 को सहरसा जिला नहीं बन गया | सच्चाई यह है कि आजादी से पूर्व ही 01 जून 1944 को अंग्रेजों द्वारा सहरसा को सब-डिस्ट्रिक्ट घोषित किया जा चुका था……. 1952 में जिला परिषद काम करना शुरू कर दिया था……. एस.पी.जी.नारायण 1954 के फरवरी में ही पद भार ग्रहण कर चुके थे |

Dr.Bhupendra Madhepuri (Author of Itihas Purush Shiv Nandan Mandal), donating books to the school library of SNMP +2 High School, Madhepura.
Dr.Bhupendra Madhepuri (Author of Itihas Purush Shiv Nandan Prasad Mandal), donating books to the school library of SNPM +2 High School, Madhepura.

इस अवसर पर मुख्यअतिथि प्रो.श्यामल किशोर यादव ने कहा कि शिवनंदन बाबू हिन्दी, अंग्रेजी एवं संस्कृत के बेजोड़ विद्वान तो थे, ओजस्वी वक्ता भी थे | विशिष्ट अतिथि द्वय परमेश्वरी प्रसाद यादव एवं डॉ.आलोक कुमार सहित आये हुए गणमान्यों राजेन्द्र प्रसाद यादव, कीर्ति नारायण यादव आदि के साथ-साथ स्कूल के शिक्षकों ने भी उद्गार व्यक्त किये और सबों ने यही कहा कि मधेपुरा को गढ़नेवालों में शिवनंदन प्रसाद मंडल अग्रणी हैं | अध्यक्षीय संबोधन के साथ प्राचार्य मो.शकील अहमद ने अतिथियों का धन्यवाद किया तथा शिक्षक सह मंच संचालक डॉ.अमलेश कुमार ने अध्यक्ष के निर्देशानुसार समारोह के समापन की घोषणा की | इस अवसर पर शिक्षक रमेश कुमार एवं संतोष कुमार आदि के सहयोग की सराहना की गई |

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दोनों प्रथम विधि मंत्री बने, एक से बढ़कर एक…………..!!

जरा ध्यान से देखिए कैसा सजीव संयोग है- बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और शिवनंदन प्रसाद मंडल के बीच | दोनों प्रखर विधिवेत्ता और दोनों उच्चकोटि के विद्वान | दोनों की 126वीं जयंती | एक की 14 अप्रैल को धूमधाम से मनी और दूसरे की आज (18 अप्रैल को) है |

यह भी जानिए कि दोनों क्रान्तिवीरों के जन्मदिन में मात्र 5 दिनों का अंतर, परंतु दोनों 5 साल के अंतराल में प्रथम विधि मंत्री बने- अंबेडकर भारत सरकार में प्रथम लॉ मिनिस्टर (1947 में) बने और शिवनंदन बिहार सरकार के प्रथम लॉ मिनिस्टर (1952 में) बने |

हां ! यह भी याद कर लीजिए कि बाबा साहब का जन्मदिन है- 14 अप्रैल, 1891 तो वही शिवनंदन बाबू का 18 अप्रैल, 1891………| है न 5 दिनों का अंतर !

चूँकि आज शिवनंदन बाबू का जन्मदिन है | उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को जानने का दिन है | अतः उनकी 2-4 बातें आने वाली पीढ़ी के लिए- शिवनंदन प्रसाद मंडल प्रखर स्वतंत्रता सेनानी रहे | स्वतंत्रता संग्राम के दरमियान चार बार जेल गये | वर्षों इन्होंने जेल की यातनाएं सही | कहने को तो बहुत कुछ है बस एक वाकया सुन लीजिए-

वर्ष 1943, स्थान नेपाल का सघन जंगल- “बोकरो का टापू” जहाँ जयप्रकाश नारायण आजाद दस्ते के लगभग 500 आन्दोलनकारियों को ट्रेनिंग दे रहे होते हैं और डॉ.राम मनोहर लोहिया ट्रान्समीटर ऑपरेटर बनकर आंदोलनकारियों को आवश्यक संदेश भेजा करते………| संयोगवश कुछ विशेष बातों को लेकर शिवनंदन बाबू ट्रेनिंग समापन के दिन ही वहां पहुंचते हैं और उनकी ही अध्यक्षता में समापन समारोह का आयोजन होता है……… जिसमें लोहिया-जेपी की उपस्थिति में समापन भाषण के अंत में यह शपथ दिलाई जाती है-

“जब तक जीवित रहूंगा आर्यावर्त के कल्याण में लगा रहूंगा | भारत की  बेबस जनता, जो नाना प्रकार के कष्ट भोग रही है उसका उद्धार करूंगा…….. और आजादी के लिए यदि प्राण न्योछावर करने की जरूरत पड़ेगी तो पैर पीछे नहीं हटाऊंगा |”    

Dr.Jagannath Mishra (Ex. CM , Bihar And Ex. Central Minister ) in a cheerful mood having seen the book "Itihas Purush Sheonandan Prasad Mandal" written by Dr.Bhupendra Madhepuri and his Patna residence .
Dr.Jagannath Mishra (Ex. CM , Bihar And Ex. Central Minister ) in a cheerful mood having seen the book “Itihas Purush Sheonandan Prasad Mandal” written by Dr.Bhupendra Madhepuri at his Patna residence .

इन्ही पंक्तियों को भावी पीढ़ी के लिए बचाकर रखने हेतु- “इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल…….” की रचना डॉ.मधेपुरी ने की | विगत वर्षों में उन्हीं के नामवाले शिवनंदन प्रसाद मंडल उच्च माध्यमिक विद्यालय मधेपुरा के तत्कालीन प्राचार्या डॉ.शान्ति यादव द्वारा आयोजित मंडल जयंती के अवसर पर इस पुस्तक का लोकार्पण बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति डॉ.रमेन्द्र कुमार यादव रवि एवं तत्कालीन वर्तमान कुलपति डॉ.अनंत कुमार द्वारा विश्व विद्यालय सिंडिकेट सदस्य विद्यानंद यादव, साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ एवं लेखक डॉ.मधेपुरी की गरिमामयी उपस्थिति में की जा चुकी है |

यह भी जानिए कि आधुनिक बिहार के निर्माताओं में अव्वल स्थान हासिल करने वाले क्रांतिवीर शिवनंदन……. की जीवनी- “इतिहासपुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल…..” लिखी है डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने | पुराने स्नेहिल संबंध रखनेवाले बिहार के मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके डॉ.जगन्नाथ मिश्र को इस पुस्तक की एक प्रति जब डॉ.मधेपुरी ने हस्तगत कराई तो डॉ.मिश्र ने डॉ.मधेपुरी की इस कृति पर चन्द शब्दों में यही कहा-

“…………….शिवनंदन बाबू पर लिखी गई इस पुस्तक में शोध और संवेदना का दुर्लभ संगम है | इस पुस्तक का पारायण करते हुए कभी मैं सुखद विस्मय से भर उठता तो कभी गौरव की अनुभूति आंखों से छलक पड़ती | सोचता हूं,  डॉ.मधेपुरी ने अगर यह पुस्तक नहीं लिखी होती तो बिहार की आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास के इतने गौरवशाली अध्याय से कैसे अवगत हो पाती………………..”

अंत में डॉ.मिश्र ने इस पुस्तक के बारे में यहां तक लिख डाला है कि यह विचार का ऐसा पुंज है जो कितने भटके हुए को राह दिखायेगी……….|

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