जहाँ मधेपुरा का भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय स्थापना काल से वीसी, प्रोवीसी, रजिस्ट्रार सहित मात्र 8 स्वीकृत पदों के साथ 25 वर्षों तक पदहीनता का अभिशाप झेलता रहा वहीं इससे अलग होकर बन रहे नये पूर्णिया विश्वविद्यालय को नीतीश सरकार ने दिया 68 पदों का तोहफा |
बता दें कि नये बने पूर्णिया विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र 2018-19 से आरंभ हो जायेगा | महामहिम कुलाधिपति द्वारा 16 अगस्त 2016 को इसकी मंजूरी प्रदान कर दी गयी है तथा 21 नवंबर तक वीसी, प्रोवीसी पद के लिए आवेदन देने की तिथि भी निर्धारित कर दी गयी है | अभ्यर्थियों के साक्षात्कार के लिए सर्चकमिटी भी गठित कर दी गई है |
जानिये कि इतनी तेजी से पूर्णिया विश्वविद्यालय के लिए सारे कार्यों का निष्पादन बिहार के शिक्षा विभाग, माननीय मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल के राज भवन द्वारा किया जा रहा है, परंतु कुछ महीने पूर्व ही मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी द्वारा इस विश्वविद्यालय का नाम महान आंचलिक साहित्यकार, पद्मश्री फणीश्वर नाथ रेणु के नाम करने वाले ‘अनुरोध’ पर अबतक विचार नहीं किया जाना- राज्य के समस्त कलमजीवी साहित्यकारों के लिए दु:ख की बात है |
यह भी बता दे कि हिन्दी के आंचलिक कथाकार एवं प्रख्यात साहित्यकार ‘रेणु’ पूर्व में भी प्रासंगिक रहे हैं और आगे भी रहेंगे | तभी तो 51 वर्ष पूर्व उनकी कहानी पर “तीसरी कसम” फिल्म बनी थी और पुनः इतने दिनों बाद उनकी कहानी पर एक फिल्म बनकर तैयार है जो आगामी 17 नवंबर को रिलीज होने वाली है जिसका नाम है- “पंचलैट”| रेणुजी की यह कहानी भी गांव-गंवई, जात-पात तथा तत्कालीन सामाजिक वर्जनाओं को पूरी तरह प्रतिबिंबित एवं प्रतिध्वनित करता है | रेणु जी की यह कहानी आज भी हमारे समाज में विद्यमान है- अतः यह फिल्म हिंदी सिनेमा जगत में फिर से एक नये युग की शुरुआत होगी |