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MLC डॉ.संजीव वित्तरहितों के बकाये सूद सहित दिलाने में लगे हैं

कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के MLC डॉ.संजीव कुमार सिंह ने बिहार विधान परिषद के 188 वें सत्र में तारांकित प्रश्न संख्या-ता.ई.-04 (दिनांक 23-03-2018) के माध्यम से यही प्रश्न किया था-

वित्त अनुदानित शिक्षण संस्थानों का अनुदान वर्षों से बकाया रहने के कारण प्रभावित शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के अनुदान को सूद समेत भुगतान करने की तिथि सुनिश्चित की जाय |

बता दें कि संबंधित विषय पर डॉ.संजीव कुमार सिंह एम.एल.सी. द्वारा पूछे गये तारांकित प्रश्न का उत्तर तो सदन में दिया गया, परंतु उत्तरित जवाब से माननीय सदस्यों के असंतुष्ट रहने के कारण माननीय उप सभापति महोदय द्वारा यह निदेश देने की कृपा की गई –

“माननीय मंत्री- वित्तविभाग एवं शिक्षा विभाग तथा प्रधानसचिव- वित्त विभाग एवं शिक्षा विभाग के साथ एक बैठक बुलाई जाय !”

यह भी बता दें कि उक्त निदेश के आलोक में माननीय उप सभापति महोदय ने 16 जुलाई 2018 (सोमवार) को 3:00 बजे अपराहन से परिषद के नवनिर्मित भवन के कमरा नंबर- F-27 में वित्त विभाग एवं शिक्षा विभाग के माननीय मंत्रीगण सहित दोनों विभाग के प्रधान सचिवों व पदाधिकारियों सहित इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने हेतु एक बैठक आहुत करने की कृपा की है | जिसमें विचार-विमर्श हेतु परिषद के एक दर्जन विधान पार्षदों को भी आमंत्रित किया गया है |

मौके पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र ना.यादव मधेपुरी ने विधान पार्षद डॉ.संजीव कुमार सिंह को नियोजित शिक्षकों के बाबत ‘समान कार्य – समान वेतन’ दिलाने के लिए संघर्षरत रहने के साथ-साथ वित्तरहित कॉलेज शिक्षकों एवं कर्मियों के बकाये राशि को सूद सहित भुगतान करने हेतु जूझते रहने के लिए कोटि-कोटि साधुवाद दिया तथा हृदय से आशीर्वाद देते हुए यही कहा कि ताजिंदगी एमएलसी रहे अपने पिताश्री शारदा बाबू की तरह शिक्षकों के हित के लिए अहर्निश संघर्ष करते रहें ……!

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विधान पार्षद संजीव हैट्रिक की राह पर……!!

चुनाव की तिथि 9 मार्च आने में अभी 3 दिन बांकी है और कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से खड़े त्रिदेवों- डॉ.संजीव कुमार सिंह, प्रो.जगदीश चन्द्र और नीतेश कुमार- में से किसी एक को विधान पार्षद चुनने के बाबत अभी से ही शिक्षक मतदाताओं के बीच चुनावी सरगर्मी परमान चढ़ने लगी है । इस चुनाव में 14 जिले (यानी 65 विधानसभा अथवा 12 लोकसभा क्षेत्र) में फैले 157 मतदान केंद्रों पर कुल 14 हज़ार 40 शिक्षक मतदाताओं द्वारा 9 मार्च को प्रातः 8:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक अपने मताधिकार का प्रयोग किया जायेगा ।

यह भी बता दें कि स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के सभी मतदातागण अपने वर्तमान विधान पार्षद सह प्रत्याशी डॉ.संजीव कुमार सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए आपस में चर्चाएं शुरु कर दी हैं । तभी तो किसी महाविद्यालय के प्राचार्य को अपने यहाँ के मतदाता शिक्षकों से यह कहते हुए सुना जा रहा है कि वोट के दिन आधार कार्ड, वोटर आईकार्ड, पेन कार्ड आदि में से कोई ‘एक’ साथ में रख लेना है तो सामने खड़ा कोई मतदाता शिक्षक बोलता है- सर ! मेरे साथ तो ड्राइविंग लायसेंस हमेशा रहता है । लगे हाथ तीसरा मतदाता शिक्षक ऊंची आवाज में कह उठता है- सावधान ! मतदान कक्ष के भीतर अपनी कलम का प्रयोग कोई नहीं करेगा बल्कि चुनाव आयोग द्वारा वहाँ रखी गई ‘कलम’ से ही संजीव कुमार सिंह या अन्य नाम के आगे प्रथम वरीयता का मत [।] यूँ अंकित करना होगा ।

चारों ओर यह भी चर्चा है कि वर्तमान विधान पार्षद डॉ.संजीव कुमार सिंह को दो तिहाई से अधिक मतदाताओं ने जहाँ हैट्रिक लगाने के लिए खुलकर हामी भरी है वहीं जीत के फासले का नया रिकॉर्ड बनाकर मतदाताओं के मनोबल को ऊंचाई प्रदान करने हेतु संजीव ने पूरी ताकत झोंक दी है ।

लोकतांत्रिक क्षरण के इस हालिया दौर में भी प्रत्याशी संजीव कुमार सिंह को अपने शिक्षकों अथवा रिटायर्ड अध्यापकों-प्राध्यापकों के दुख-दर्द में पिता शारदा प्रसाद सिंह की तरह संजीवनी बनकर हर परिस्थिति में खड़ा देखकर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने शारदा बाबू की तरह उसे भी आदि से अंत तक सहयोग देते रहने का निश्चय कर लिया है ।

बता दे कि यह वही डॉ.मधेपुरी हैं जो बीएन मंडल विश्वविद्यालय में विकास पदाधिकारी, परीक्षा नियंत्रक, कुलानुशासक आदि अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर वर्षों कार्यरत रहकर सातो जिला मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया के कॉलेज शिक्षकों के बीच अपनी निष्ठा एवं सत्कर्मों की बदौलत उनके दिलों में जगह बना ली और संजीव की जीत के लिए विगत दो चुनावों में विनम्र आह्वान किया तो शिक्षक मतदाता बन्धुओं ने जीत भी दर्ज कराई ।

वर्तमान चुनाव प्रचार के दरमियान जब प्रत्याशी के रूप में संजीव कुमार सिंह मधेपुरा आए और डॉ.मधेपुरी के ‘वृन्दावन’ निवास पर पधारे तो बातें करते हुए मधेपुरी ने संजीव से यही कहा- “महागठबंधन में रहकर भी शिक्षकों के हित में अनुकूल निर्णय लागू कराने की दिशा में हमेशा अपनी बातें निर्भीकतापूर्वक रखें तथा अपने पिताश्री की तरह हमेशा बौद्धिक सजगता प्रदर्शित करते रहें । तभी तो  “समान कार्य-समान वेतन” के लिए किए जा रहे संघर्ष को सुप्रीम कोर्ट भी सार्थक संघर्ष कबूल किया है ।”                       

अंत में डॉ.मधेपुरी ने चलते-चलते हैट्रिक बनाने हेतु शुभाशीष देते हुए उन्हें यही जीवन-संदेश दिया- “संसार के प्रत्येक व्यक्ति पर माता,पिता एवं गुरु-ऋण के अतिरिक्त समाज का ऋण भी होता है । जो व्यक्ति राष्ट्रपथ पर कठोर कर्मयोगी बनकर कर लोकऋण चुकाता रहेगा वही विजेता बनेगा और वैसे ही व्यक्ति के जीवन में सदा फूल खिलते रहेंगे ।” विदा होते वक्त डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने भावुक होकर डॉ.संजीव कुमार सिंह के माथे पर हाथ रखते हुए बस इतना ही कहा-  कर्मयोगी पिता के यश और कीर्ति की ऊंचाइयों को  उर्ध्वगामी बनाये रखना……….!!

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