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ब्रिक्स: धाक और धमक दोनों बढ़ी भारत की

चीन के शियामेन में हुए ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान को बड़ी सफलता मिली। ब्रिक्स देशों ने अपने घोषणापत्र में इस बार लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम शामिल किया और इनसे तथा इनके जैसे तमाम आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने शिरकत की।

शियामेन घोषणापत्र में कहा गया कि “हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर और तालिबान, इस्लामिक स्टेट (आईएस), अलकायदा और इससे संबद्ध संगठन ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी और हिज्बुल-तहरीर द्वारा की गई हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हैं।” घोषणापत्र के इस अंश का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि भारत ने अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का रुख किया था लेकिन चीन ने बार-बार इस प्रस्ताव की राह में रोड़ा अटकाया। गोवा में बीते साल हुए आठवें ब्रिक्स सम्मेलन में भी चीन ने घोषणापत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को शामिल करने का विरोध किया था। पर इस बार उसकी नहीं चली। इससे भारत की धाक और धमक दोनों बढ़ी है।

गौरतलब है कि शियामेन घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों सहित दुनियाभर में हुए सभी आतंकवादी हमलों की निंदा की गई है। घोषणापत्र में कहा गया, “आतंकवाद की सभी रूपों में निंदा की जाती है। आतंकवाद के किसी भी कृत्य का कोई औचित्य नहीं है।” पाकिस्तान का नाम लिए बगैर घोषणापत्र में कहा गया , “हम इस मत की पुष्टि करते हैं कि जो कोई भी आतंकी कृत्य करता है या उसका समर्थन करता है या इसमें मददगार होता है, उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।” घोषणापत्र में आतकंवाद को रोकने और इससे निपटने के लिए देशों की प्राथमिक भूमिका और जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए जोर दिया गया कि देशों की संप्रभुता और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करते हुए आतंक के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।

ब्रिक्स देशों ने अपने घोषणापत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी गठबंधन की स्थापना करने और इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र की समन्वयक की भूमिका के लिए समर्थन जताने का आह्वान किया। उन्होंने अपने घोषणापत्र में कहा, “हम जोर देकर कहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होनी चाहिए। इसमें संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र, अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी और मानवीय कानून, मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता भी शामिल हैं।”

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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