करारी शिकस्त के बाद खुद को सम्भालने में लगी बिहार भाजपा ने एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रेम कुमार को विधायक दल की कमान सौंप दी। प्रेम कुमार अब नेता प्रतिपक्ष होंगे और उन्हें कैबिनेट मंत्री स्तर की सारी सुविधाएं मिलेंगी। उनके नाम का प्रस्ताव नंदकिशोर यादव ने किया जिसे भाजपा के 53 विधायकों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। बिहार चुनाव में हार का ठीकरा किसी व्यक्तिविशेष के सिर पर नहीं फोड़ा गया था और माना जा रहा था कि नंदकिशोर यादव फिर से विधायक दल के नेता चुन लिए जाएंगे। लेकिन भाजपा आलाकमान ने 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए ‘अतिपिछड़ा’ चन्द्रवंशी समाज से आने वाले प्रेम कुमार को आगे करना ठीक समझा। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भाजपा विधानमंडल दल के नेता बने रहेंगे।
प्रेम कुमार गया से सातवीं बार विधायक बने हैं। वे 1990 से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद वे पथ निर्माण, पीएचईडी और नगर विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। 2013 में भाजपा के सरकार से अलग होने पर वे विपक्ष के नेता पद के सशक्त दावेदार थे और इस बार के विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के सम्भावित उम्मीदवारों में भी वे प्रमुखता से शामिल थे। शाहनवाज हुसैन ने तो गया की चुनावी सभा में बाकायदा इसकी घोषणा भी कर दी थी।
भाजपा आलाकमान ने मध्य बिहार के चन्द्रवंशी समाज से आने वाले प्रेम कुमार की ताजपोशी नेता प्रतिपक्ष के रूप में यूँ ही नहीं की है। सच तो ये है कि भाजपा अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में 35 प्रतिशत से अधिक आबादी वाली अत्यंत पिछड़ी जातियों की भाजपा के पक्ष में गोलबंदी के कारण ही एनडीए ने 40 में से 31 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी और इस बार के चुनाव में उसके मुँह के बल गिरने के पीछे एक बड़ा कारण इस वोट बैंक का उसके हाथ से खिसक जाना रहा था।
जो भी हो, भाजपा ने इस बड़े फेरबदल से अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। अब देखना ये है कि संगठन मे वो क्या बदलाव करती है..? प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मंगल पांडेय को जीवनदान मिलता है या किसी नए चेहरे को आगे किया जाता है..? नंदकिशोर यादव की नई भूमिका अब क्या होगी..? और सुशील कुमार मोदी का विकल्प पार्टी ढूंढ़ पाती है या नहीं..? उन्हें भाजपा विधानमंडल दल का नेता बनाए रखने से ये तो स्पष्ट हो ही गया है कि बिहार भाजपा में ‘फिलहाल’ उनका कोई विकल्प नहीं।
और अंत में, ऊपर के आखिरी सवाल से जुड़ा एक बड़ा सवाल या संभावना ये भी है कि क्या प्रेम कुमार की भूमिका अगले विधान सभा चुनाव तक और बड़ी होगी..? क्या आने वाले समय में प्रेम कुमार बिहार भाजपा के ‘चेहरा’ होंगे और उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाना उसी का संकेत है..?
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप