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फादर्स डे पर इससे बड़ी खुशी क्या होगी एक पिता के लिए..!

मोहना सिंह, अवनी चतुर्वेदी और भावना कंठ – ये तीनों देश की पहली तीन बेटियां हैं जिन्हें भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में शामिल किया गया। बता दें कि भारतीय वायुसेना सेना का पहला अंग है जिसने महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हुए इन तीन महिला अधिकारियों को लड़ाकू विमान उड़ाने वाले दस्ते में शामिल किया। इसके साथ ही भारत दुनिया का 21वां देश हो गया जिसके फाइटर पायलट की टुकड़ी में महिलाएं शामिल हैं।

देश को गौरव से भर देने वाली इन तीन बहादुर बेटियों में मोहना राजस्थान के झुनझुन की, अवनी मध्य प्रदेश के सतना की और भावना बिहार के दरभंगा की रहने वाली हैं। गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने महिला पायलटों को लड़ाकू विमान उड़ाने के दस्ते में शामिल करने की मंजूरी पिछले वर्ष दी थी। इसके बाद इन तीन कैडेटों ने लड़ाकू पायलट का प्रशिक्षण लेने की सहमति प्रकट की थी। इन तीनों को पहले चरण में डेढ़ सौ घंटे से भी अधिक समय तक विमान उड़ाने का प्रशिक्षण दिया गया है। अब अगले छह महीनों में इन्हें उन्नत लड़ाकू विमान हॉक पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बहरहाल, अब बात बिहार की बेटी भावना की जिसने टॉपर घोटाले का दंश और अपमान झेल रहे इस राज्य को एक बार फिर सिर उठाने का स्वर्णिम मौका दिया। ऐसे में उस पिता की खुशी का अंदाजा लगाइए जिसकी बेटी को सिर्फ बिहार ही नहीं पूरा देश पलकों पर बिठा रहा हो। और उस पर भी जब दिन आज का यानि फादर्स डे का हो तो सोचिए कि वो खुशी कितनी बड़ी हो जाएगी। खास तौर पर उस पिता के लिए जो कभी स्वयं वायुसेना में जाना चाहता हो और आज उसकी बेटी वहाँ पहुँच जाए और वो भी देश की पहली महिला फाइटर पायलट बनकर। क्या किसी पिता के लिए आज के दिन इससे बड़ा उपहार हो सकता है?

भावना का जन्म 1 दिसंबर 1992 को दरभंगा के बाउर गांव में हुआ था। उनके पिता तेज नारायण कंठ इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में अधिकारी हैं। उन्होंने 1986 में अपनी नौकरी की शुरुआत बरौनी रिफाइनरी से की थी। माँ राधा कंठ घरेलू महिला हैं।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी भावना ने 10वीं की परीक्षा बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप से पास करने के बाद 12वीं करने कोटा का रुख किया और वहाँ इंजीनियरिंग की तैयारी की। 2014 में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग किया और टाटा कंसलटेंसी में उनका कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया पर नियति ने भावना के लिए कुछ और तय कर रखा था। उनका इंतजार तो भारतीय वायुसेना को था। तभी तो भावना वायुसेना के शॉर्ट सर्विस कमीशन यानि एसएससी के लिए चुन ली गईं और फ्लाइंग ऑफिसर बन गईं। उसके बाद की कहानी तो खैर अब भारतीय वायुसेना के इतिहास में नया अध्याय जोड़ चुकी है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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