मधेपुरा में जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 75वें वर्षगांठ को उत्साहपूर्वक मनाया गया | सबेरे प्रभात फेरी निकाली गई जिसमें स्कूली बच्चों ने जमकर भाग लिया | दिन के 10:00 बजे से स्थानीय भूपेन्द्र कला भवन में चित्रकला प्रदर्शनी का वृहत आयोजन किया गया | अपराह्न 1:00 बजे से “भारत छोड़ो आंदोलन” पर स्कूली बच्चों द्वारा व्याख्यान एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई | शाम में वहीं पर विभिन्न संगीत विद्यालयों एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक-से-एक बेहतरीन प्रदर्शन किया जाता रहा | अंत में कार्यक्रमों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को- डीडीसी मिथिलेश कुमार की अध्यक्षता में तैयार किये गये प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, एस.डी.एम.संजय कुमार निराला, बीडीओ दिवाकर कुमार आदि द्वारा पुरस्कृत किया गया |
बता दें कि इस अवसर पर स्वच्छता अभियान के तहत जिला मुख्यालय, अनुमंडल मुख्यालय सहित प्रखंड मुख्यालय के कार्यालय परिसरों की जमकर सफाई की गई |
यह भी बता दें कि मध्यान काल में अगस्त क्रांति दिवस (9 अगस्त) मनाने हेतु अनुमंडल कार्यालय परिसर में जिले के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल का आगमन हुआ- जहां पर डीडीसी, एस.डी.एम. संजय कुमार निराला, एलआरडीसी रवि शंकर शर्मा, बीडीओ दिवाकर कुमार सहित समाजसेवी-साहित्यकार भूपेन्द्र मधेपुरी ने इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में डीएम मो.सोहैल का स्वागत किया |
आरम्भ में डीएम, डीडीसी, एसडीएम, एलआरडीसी, बीडीओ, सहित डॉ.मधेपुरी एवं गणमान्यों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, लाल बहादुर शास्त्री आदि के तस्वीरों पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि किया |
जहाँ गोष्ठी को संबोधित करते हुए डायनेमिक डीएम ने जीर्ण-शीर्ण ट्रेजरी भवन को सुन्दर संग्रहालय बनाने की बात कही वहीँ डीडीसी मिथिलेश कुमार ने एसडीएम संजय कुमार निराला से उसे जिला परिषद को ट्रांसफर करने की चर्चा भी की तथा स्वच्छता के बाबत संकल्प का पाठ भी किया और लोगों ने उसे दोहराया भी |
बीच में गोष्ठी को संबोधित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में 1942 की अगस्त क्रान्ति की चर्चा करते हुए यही कहा-
“जब 8 अगस्त, 1942 की रात को बम्बई में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव पास करने के बाद ‘करो या मरो’ का नारा बुलंद किया गया, तब कुछ ही घंटे बाद नेताओं की धर-पकड़ शुरू हो गयी | वह व्यक्तिगत आंदोलन था | महात्मा गांधी ने उद्घोष किया था कि हर कोई स्वयं सेना भी है और सेनापति भी | तभी तो सरकारी आंकड़े के अनुसार 60 बार सेना को बुलाना पड़ा था ; 60000 आंदोलनकारी गिरफ्तार हुए थे और भारत में 940 लोग गोलियों के शिकार हुए थे…….. सच्चाई कई गुणा ज्यादा थी……… तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने चर्चिल को लिखा भी था……. 1857 की क्रान्ति थी और यह 1942 की जनक्रांति है |”
अंत में डायनेमिक डीएम मो.सोहैल (IAS) ने जोरदार शब्दों में उपस्थित जनों से यही कहा- “हम सब मिलकर संकल्प लें- भ्रष्टाचार मुक्त भारत का स्वच्छ भारत का, गरीबी मुक्त भारत का, जातिमुक्त भारत का, संप्रदायवाद मुक्त भारत का……… और नए भारत के निर्माण के अपने इन संकल्पों की सिद्धि के लिए हम सब मन, वचन और कर्म से सदा जुटे रहेंगे तब तक जब तक बिहार और हमारा राष्ट्र विकसित नहीं हो जाय |”