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तय होने लगे राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम

23 मार्च को निर्धारित राज्यसभा चुनाव के नामांकन की तारीख – 12 मार्च – के निकट आते ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित करने शुरू कर दिए हैं। जैसा कि तयप्राय था, सत्तारूढ़ भाजपा ने वित्तमंत्री अरुण जेटली व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत अपने सभी बड़े नेताओं को पुन: उच्च सदन भेजने की घोषणा कर दी है। उधर सपा ने अपने हिस्से की एक सीट पर एक बार फिर जया बच्चन को भेजने का मन बना लिया है, जबकि संख्याबल के हिसाब से जीतने की संभावना क्षीण होने के बावजूद बसपा ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू की बात करें तो पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

भाजपा उम्मीदवारों की बात करें तो पार्टी ने उत्तर प्रदेश से वित्त मंत्री अरुण जेटली को उम्मीदवार बनाया है, जबकि मध्यप्रदेश की दो सीटों के लिए थावर चंद गहलोत और उर्जा मंत्री धर्मेद्र प्रधान के नाम का ऐलान किया गया है। गुजरात की बात करें तो वहां की दो सीटों के लिए मनसुख लाल मंडाविया और पुरुषोत्तम रुपाला को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। हिमाचल प्रदेश से स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है। केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को बिहार के रास्ते राज्यसभा भेजना तय हुआ है, तो वहीं राजस्थान से भूपेन्द्र यादव को उम्मीदवार बनाया गया है।

सपा की बात करें तो पार्टी ने यूपी से जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया है। पहले चर्चा थी कि नरेश अग्रवाल को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है। वहीं बसपा ने भीमराव अंबेडकर को अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां कहा जा रहा था कि संभवत: पार्टी सुप्रीमो मायावती खुद को राज्यसभा भेजने की कोशिश कर सकती हैं। लेकिन कहा जा सकता है कि संख्याबल पर्याप्त ना होने से केवल अन्य पार्टियों के समर्थन के भरोसे उन्होंने ऐसा करना उचित नहीं समझा।

इधर बिहार से जेडीयू के राज्यसभा उम्मीदवारों की बात करें तो पार्टी ने अभी सस्पेंस बनाकर रखा हुआ है। वैसे राजनीति के जानकार बताते हैं कि दो में से एक सीट के लिए प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह का नाम तय है, जबकि दूसरी सीट के लिए हवा में कई नाम तैर रहे हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग ने अलग-अलग राज्यों की 58 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव की तारीख 23 मार्च रखी है। वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 12 मार्च तय की गई है। 15 मार्च तक नामांकन वापस लिया जा सकता है। यह भी जानें कि उत्तर प्रदेश से 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है तो वहीं महाराष्ट्र और बिहार से 6-6 सदस्यों का चुनाव होना है। मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल से 5-5 तो ओडिशा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से 3-3 सीटों के लिए चुनाव होना है।

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जीएसटी : अब तक का सबसे ‘बड़ा’ और ‘कड़ा’ आर्थिक सुधार

सालों लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार कल राज्य सभा में जीएसटी बिल पास हो गया। कुछ सुझावों और शंकाओं के बावजूद कांग्रेस समेत अन्य दलों के समर्थन के बाद जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। यह अब तक का सबसे बड़ा और कड़ा आर्थिक सुधार है क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा। बता दें कि राज्य सभा से बिल पास हो जाने पर अब केन्द्र सरकार इस पर लोकसभा की सहमति जुटाएगी। इसके बाद कई और विधायी प्रक्रिया प्रक्रिया पूरी करनी होंगी और नियम-कानून को अंतिम रूप देना होगा। तब कहीं जाकर ये बिल अगले साल एक अप्रैल से व्यावहारिक धरातल पर उतर पाएगा।

बहरहाल, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स केन्द्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा। इसके लागू होने पर एक्साइज, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, वैट, सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स और ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स जैसे कई टैक्स खत्म हो जाएंगे। पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से कीमतों का अंतर घटेगा।

सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम-सेकम दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। पर जीएसटी से जुड़ा एक और पहलू महंगाई का है जिसे नज़रअंदाज करना मुश्किल है। सच ये है कि पूरी दुनिया में जब भी किसी क्षेत्र में समान बिक्री कर लागू किया गया वहाँ थोड़े समय के लिए महंगाई बढ़ी। भारत में भी इससे महंगाई बढ़ेगी ये तयप्राय है। हालांकि सरकार ने पेट्रोल-डीजल, बिजली और शराब को फिलहाल जीएसटी से अलग रखकर महंगाई बढ़ने की सम्भावना को यथासंभव कम करने की कोशिश की है। इसलिए शुरुआत में इसका सबसे अधिक असर सेवाओं पर होगा।

देखा जाय तो जीएसटी अभी तक संसद में एक तकनीकी बहस का मुद्दा भर रहा है लेकिन पास होने के बाद ये सड़क पर एक राजनीतिक मुद्दा बनेगा। खास कर तब जब केन्द्र की मोदी सरकार महंगाई को काबू में रखने और राज्यों की अपेक्षा पूरी करने में असफल होगी। कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पहले ही कह चुके हैं कि अगर टैक्स की दरें 18 प्रतिशत से अधिक रहीं तो सड़क पर विरोध किया जाएगा।

सच तो ये है कि 18 प्रतिशत की दर भी बहुत सारी चीजों को महंगा बना देगी, जैसे बाहर खाना, फोन बिल, सिनेमा और इसी तरह की कई सेवाएं। कहने की जरूरत नहीं कि ये सारी चीजें उच्च मध्यवर्ग को सीधे चुभेंगी और समग्र महंगाई में योगदान करेंगी सो अलग। आने वाले समय में जीएसटी भारत का एक विवादित विषय बन जाए तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन फिलहाल वित्त मंत्री अरुण जेटली और सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी के लिए इस साहसिक कदम पर बधाई तो बनती ही है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप  

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