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रामदरश मिश्र, मनमोहन झा, शमीम तारिक और साइरस मिस्त्री को साहित्य अकादमी पुरस्कार

‘असहिष्णुता’ को लेकर पुरस्कारवापसी का शोर अभी थमा ही था कि साहित्य अकादमी ने साल 2015 के लिए पुरस्कारों की घोषणा कर दी। हिन्दी में रामदरश मिश्र, मैथिली में मनमोहन झा, उर्दू में शमीम तारिक और अंग्रेजी में साइरस मिस्त्री को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में कल हुई कार्यकारी मंडल की बैठक में 23 भारतीय भाषाओं के लिए पुरस्कार घोषित किए गए। बांग्ला भाषा के लिए पुरस्कार की घोषणा बाद में की जाएगी। पिछले दिनों 39 साहित्यकारों ने देश में कथित तौर पर बढ़ती ‘असहिष्णुता’ और साहित्य अकादमी के बोर्ड मेंबर एम. एम. कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अपने पुरस्कार वापस कर दिए थे। अकादमी ने इस बाबत बड़ा निर्णय लेते हुए कहा कि लौटाए गए पुरस्कार वापस नहीं लिए जाएंगे। अकादमी की ओर से श्रीकांत बाहुलकर को भाषा सम्मान दिए जाने की घोषणा भी की गई।

अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासन राव के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस साल पुरस्कार के लिए छह कविता-संग्रह, छह कहानी-संग्रह, चार उपन्यास, दो निबंध-संग्रह, दो नाटक, दो समालोचना और एक संस्मरण का चयन किया गया है। रामदरश मिश्र को उनके कविता-संग्रह ‘आग की हंसी’, मनमोहन झा को कहानी-संग्रह ‘खिस्सा’, शमीम तारिक को समालोचना ‘तसव्वुफ और भक्ति’ और साइरस मिस्त्री को उनके उपन्यास ‘क्रॉनिकल ऑफ द कॉर्प्स बियरर’ के लिए पुरस्कार से नवाजा जाएगा। संस्कृत में इस वर्ष रामशंकर अवस्थी को उनके कविता-संग्रह ‘वनदेवी’ के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।

भारतीय मानचित्र में सबसे ऊपर बैठे जम्मू-कश्मीर को देखें तो कश्मीरी में बशीर भद्रवाही को ‘जमिस त कशीरी मंज कशीर नातिया अदबुक’ (समालोचना) और डोगरी में ध्यान सिंह को ‘परछामें दी लो’ (कविता) के लिए सम्मानित किया जाएगा। ‘जन-गण-मन’ के ‘पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा’ की ओर चलें तो पंजाबी में जसविन्दर सिंह को उपन्यास ‘मात लोक’, सिंधी में माया राही को कहानी-संग्रह ‘महंगी मुर्क’, गुजराती में रसिक शाह को निबंध-संग्रह ‘अंते आरंभ’ (खंड एक और दो) और मराठी में अरुण खोपकर को संस्मरण ‘चलत-चित्रव्यूह’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा। राजस्थानी में यह सम्मान मधु आचार्य ‘आशावादी’ को उनके उपन्यास ‘गवाड़’ और कोंकणी में उदय भेंब्रे को उनके नाटक ‘कर्ण पर्व’ के लिए दिया जाएगा।

‘द्रविड़’ यानि दक्षिण भारतीय भाषाओं की बात करें तो तमिल में ए. माधवन को ‘इक्किया सुवडुकल’ (निबंध), तेलुगु में वोल्गा को ‘विमुक्त’ (कहानी), कन्नड़ में के. वी. तिरूमलेश को ‘अक्षय काव्य’ (कविता) और मलयालम में के. आर. मीरा को ‘आराचार’ (उपन्यास) के लिए अकादमी पुरस्कार दिया जा रहा है। ‘उत्कल’ की ओर रुख करें तो ओड़िया में विभूति पटनायक को ‘महिषासुर मुहन’ (कहानी) के लिए चुना गया है।

उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने पर असमिया में कुल सेइकिया को ‘आकाशेर छबि आर अनन्न गल्प’ (कहानी) के लिए, मणिपुरी में क्षेत्री राजन को ‘अहिड़ना येकशिल्लिबरा मड़’ (कविता)  के लिए, बोडो में ब्रजेन्द्र कुमार ब्रह्मा को ‘बायदी देंखे बायदी गाब’ (कविता) के लिए, संथाली में रबिलाल टुडू को ‘पारसी खातिर’ (नाटक) के लिए और नेपाली में गुप्त प्रधान को ‘समयका प्रतिविम्बहरू’ (कहानी) के लिए  पुरस्कार से नवाजा जा रहा है।

सभी घोषित पुरस्कार 16 फरवरी 2016 को दिल्ली के फिक्की सभागार में दिए जाएंगे। बता दें कि पुरस्कार के तौर पर विजेताओं को ताम्रपट्टिका, शॉल और एक लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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