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महिला जब जागेगी तभी भारत मजबूत बनेगा

मधेपुरा जिला समाहरणालय के समक्ष अखिल भारतीय महिला समिति की जिला इकाई द्वारा अपनी विभिन्न माँगों को लेकर एक दिवसीय धरना कार्यक्रम किया गया | सुनिता देवी की अद्यक्षता में चले इस कार्यक्रम में एडवा की प्रदेश अद्याक्षा रामपरी देवी एवं सचिव नूतन भारती सहित प्रियंका यादव, विभा देवी, माला देवी, मीना देवी, शर्मीला, विमला, पार्वती, रिंकू, आदि ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आये दिन महिलाओं पर हो रही हिंसा, हत्या एवं बलात्कार की घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है और सरकार जादूई विकास के नाम पर खुद ही अपनी पीठ थपथपाने में लगी है जिसे अब जाग्रत महिलाएं अधिक दिनों तक बर्दास्त नहीं करेंगी |

यह भी जानें की धरना दे रही महिलाओं ने सत्ताधारी सरकार को घेरते हुए कहा कि किसी भी अख़बार को पलटीये तो यही पाएंगे कि आज़ादी के 67 वर्षों के बाद भी वही मूलभूत मानवीय समस्याएं – रोटी-कपड़ा-मकान, शिक्षा-स्वास्थ-बिजली-सड़क हर जगह मुहँ बाये खड़ीहैं | सभी महिलाओं ने संकल्प लिया कि हक़ की खातिर निर्णायक संघर्ष का शंखनाद करना होगा |

मौके पर रसोइया संघ का नेता गणेश मानव सहित दीपनारायण यादव, नरेश, सूर्यकांत आदि ने कहा कि राज्य सरकार 3-डिसमिल जमीन देने के नाम पर गरीब विधवाओं को मिड-डे-मिल के घोषित मेनू से दूर हटकर बच्चों को ठगने में लगी है |

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चुनाव की तैयारी : तरीका अपना अपना

मजबूती के साथ मधेपुरा में ही नहीं बल्कि बिहार के कतिपय शहरों में पप्पू यादव की जन आधिकार पार्टी के एलान पर एक तरफ बिहार बन्द किया जा रहा है जिसमें सहयोगी पार्टी के रूप में “हम” भी शरीक रही है | यह बन्द सरकार द्वारा मौलिक समस्याओं के साथ-साथ जन सुरक्षा की अनदेखी करने के विरुद्ध चुनाव की तैयारी का अपना तरीका है |

तो दूसरी तरफ सरकार पुनः अपनी वापसी को लेकर चुनाव की तैयारी के मददेनजर “विकास मित्रों” का मानदेय सात हजार से बढ़ाकर एक बारगी दस हजार ही नहीं बल्कि अप्राकृतिक मौत पर उनके परिजनों को चार लाख रू. देने की घोषणाएँ भी कर दी है | तुर्रा तो यह है कि सरकार उन्हें स्मार्टफोन ही नहीं एक विशेष किस्म के सिम भी दे रही है |

यह भी जानें कि कल तक गाँव-गाँव मेंशराब की दूकानें एवं शराब की भट्टियाँ खोलने हेतु लायसन्स बाँटने वाली सरकार आज अपनी चुनावी तैयारी को लेकर सत्ता में वापसी के लिए उसी शराब पर पूरी बन्दिश लगाने की घोषणाएं कर रही हैं |

परन्तु ,प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की बदहाल और जर्जर स्थिति पर न तो कोई पार्टी ध्यान दे रही है और ना हीं सरकार | यदि इस पर चिंतन-मंथन करने हेतु विरोधी पार्टियाँ और सरकार मिल-बैठकर कुछ ठोस निर्णय ली होती तो बिहार की विभिन्न समस्याओं का स्वत: निदान हो गया होता और बिहार आगे बढ़ रहा होता | तब लोग बोलते भी – फिर एक बार : नीतीश कुमार !!

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