कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन मधेपुरा संस्थान के संस्थापक पं.युगल शास्त्री प्रेम की 27वीं पुण्यतिथि संस्थान के अम्बिका सभागार में मनाई गई | वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने अद्यक्षता की और उन्होंने कहा कि “प्रेम जी” ऐसे पारस थे जिन्होंने दर्ज़नों अनगढ़ शिलाओं को अपने स्पर्श मात्र से शिवत्व प्रदान किया | कोसी अंचल की कई पीढियां उनके अवदानों को नहीं भूल सकती | उन्होंने प्रेम जी की कालजयी रचना “साधना” को महाकाव्य बताते हुए उस समय का सर्वाधिक श्रेष्ठ ग्रन्थ बताया |
भू.ना.मंडल वि.वि. के संस्थापक कुलपति व पूर्व सांसद डॉ.रमेंद्र कुमार यादव रवि ने कहा कि प्रेम जी गुरुओं के भी गुरु थे | उन्होंने गायन एवं वादन के साथ भक्ति की ऐसी अक्षय धारा बहायी जो कोसी अंचल में आज भी प्रवहमान है |
संस्थान के सचिव डॉ. मधेपुरी ने कहा कि प्रेम जी ने कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन जैसी जीवन्त संस्थान को स्थापित कर दीर्घकाल तक जनसहयोग से ही इसका संचालन किया |
टी.एम.भागलपुर वि.वि. के प्रतिकुलपति डॉ.के.के.मंडल, नगर परिषद के पार्षद ध्यानी यादव, इप्टा के सचिव बिकास कुमार, तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक श्यामल कुमार सुमित्र, युवा साहित्यकार व छात्र नेता हर्षवर्धन सिंह राठौर, प्राणमोहन यादव एवं पोरा जी ने संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी | रघुनाथ यादव, संजय परमार एवं कमलेश्वरी यादव भी उद्गार व्यक्त किये | समारोह के द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप एवं डॉ.आलोक कुमार के नेतृत्व में किया गया , जिसे संतोष “नवल”, डॉ.अमोल राय, पंकज जी, मयंक जी, हीरा प्र. सिंह हिमांशु, हर्षवर्धन, डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव, फर्जी कवि डॉ. अरुण, रणधीर, द्विजराज ने काव्य पाठ किया |