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नीतीश ने सबको किया लाजवाब, बिहार में बंद होगी शराब

अभी तुरत बीते चुनाव में भाजपा समेत एनडीए में शामिल तमाम दलों ने नीतीश कुमार को जिन मुद्दों पर घेरने की जी तोड़ कोशिश की उनमें शराब बहुत अहम मुद्दा था। उन पर आरोप लागाए गए कि उन्होंने गांव-गांव, गली-गली में शराब के ठेके खुलवा दिए। सरकार की नीयत पर संदेह करें या ना करें, ये स्वीकार तो करना ही पड़ेगा कि नीतीश की पिछली सरकार में शराब की दुकानें बहुतायत से खुलीं और शराब की इन दुकानों से सरकार के राजस्व में जो भी वृद्धि हुई हो इसके दुष्प्रभाव भी सामने आए। समाज के बड़े तबके में विरोध के स्वर उठने लगे। इस बार के चुनाव में खासकर महिलाओं को लेकर ये बात कही जा रही थी कि मतदान के लिए उनकी लम्बी कतारें शराब के विरोध में तो नहीं थीं..! खैर, चुनाव परिणाम ने इन संदेहों को निर्मूल साबित किया। जनता ने अपने ‘सुशासन बाबू’ पर भरोसा दिखाया था और नीतीश ने उस भरोसे की लाज रखते हुए आज एक बड़ा निर्णय लिया। जी हाँ, मुख्यमंत्री ने अगले साल यानि 2016 की पहली अप्रैल से बिहार में शराबबंदी की घोषणा की।

बता दें कि आज मद्य निषेध दिवस है। पटना के सचिवालय परिसर स्थित अधिवेशन भवन में निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने मद्य निषेध दिवस समारोह का आयोजन किया था। कौन जानता था कि ये समारोह महज ‘रस्म अदायगी’ के लिए नहीं है, बल्कि नीतीश इसमें बहुत बड़ा ‘संकल्प’ लेकर शिरकत कर रहे हैं। शराबबंदी की घोषणा के साथ आज का ये समारोह इतिहास में दर्ज हो गया। बड़े ‘निश्चय’ के साथ समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि उत्पाद से मिलने वाले राजस्व में कमी हो जाने से कुछ चीजों के लिए इंतजार कर लिया जाएगा लेकिन शराबबंदी हर हाल में लागू होगी।

मुख्यमंत्री ने इस संबंध में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को विस्तृत कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया। शराबबंदी से संबंधित नई नीति पहली अप्रैल, 2016 से लागू कर दी जाएगी। यही नहीं नशा के खिलाफ अभियान चलाने वाले और गांव में शराब की बिक्री बंद कराने वाले स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।

शराबबंदी के इस ऐतिहासिक निर्णय के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। कुछ महीने पहले पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में स्वयं सहायता समूह के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने नीतीश कुमार से गांवों में शराब बंद कराने का अनुरोध किया था। उस वक्त नीतीश अपना संबोधन खत्म कर चुके थे लेकिन उन महिलाओं की अपील उनके दिल को इस कदर छू गई कि वे दुबारा माइक पर गए और कहा कि अगर उन्होंने सत्ता में वापसी की तो शराबबंदी जरूर लागू करेंगे। महिलाओं, खासकर गरीब परिवार की महिलाओं पर शराब के जहरीले प्रभाव का उन्हें एहसास था। तभी उन्होंने कहा था कि अपनी कही बात से वे पीछे नहीं हटेंगे।

चुनाव के मौसम में कई बातें कही जाती हैं। कहकर भूल जाना या ये कहना कि मेरे कहने का मतलब ‘ये’ था ‘वो’ नहीं इतना आम हो चुका है कि अब इस पर बहस भी नहीं होती। ऐसे में नीतीश का अपना वादा निभाना, और वो भी शपथ लेने के महज कुछ दिनों के भीतर, सुखद आश्चर्य से भर दे रहा है। उन्होंने अपने तमाम विरोधियों और आलोचकों के मुँह पर अचानक बहुत बड़ा ताला जड़ दिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि नीतीश के इस निर्णय की गूंज दूर तलक जाने वाली है।

बिना विलंब इस बड़ी घोषणा से यह स्पष्ट हो गया कि नीतीश की ये नई पारी बेहद खास होगी। उन्हें इस बात का भली भाँति एहसास है कि बिहार की जनता ने किस उम्मीद और विश्वास से उन्हें अपार बहुमत के साथ सत्ता सौंपी है। ‘मधेपुरा अबतक’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके इस साहसिक निर्णय के लिए बधाई देता है और आने वाले दिनों में बिहार के हित में ऐसे और निर्णयों की अपेक्षा करता है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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