मधेपुरा के बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर उर्दू विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के ‘हिन्दी-उर्दू एक विरासत’ विषय का उद्घाटन करते हुए माननीय कुलपति डॉ.अवध किशोर राय ने कहा कि हमारी सभी भाषाएं साझी संस्कृति का वाहक है तथा भारत की साझी संस्कृति अत्यन्त प्राचीन और समृद्ध है | सभी भाषाएं सगी बहनें जैसी हैं और एक दूसरे की पूरक भी हैं | डॉ.राय ने अपने संबोधन में बड़ी ही पवित्र बातें कहीं, वह यह कि जैसे कई नदियाँ मिलकर गंगा को समृद्ध करती हैं, वैसे ही सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हिन्दी को समृद्ध करती हैं | उन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है | सभी मिलकर हिन्दी को पूर्ण बनाती है, सभी भाषाएं हमारी साझी विरासत है | किसी भी भाषा का किसी से कोई बैर नहीं है बल्कि हरेक के बीच सुमधुर समन्वय है |

इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ.फारुख अली ने कहा कि आजादी की लड़ाई में हिन्दी और उर्दू दोनों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया | उन्होंने कहा कि हिन्दी और उर्दू जहाँ एक ओर भारत माता की दो खूबसूरत आंखें हैं वहीं दूसरी ओर सभी भाषाओं के चेहरे भले ही अलग-अलग हों लेकिन दिल एक है | मुख्य अतिथि मो.अली जौहर ने उर्दू को उपेक्षित बताते हुए सम्मान दिलाने की चर्चा की |
ज्ञातव्य हो कि वहीं बिहार सरकार उर्दू निदेशालय की ओर से जिले में उर्दू को बढ़ावा देने के लिए विविध प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है | सभी प्रारंभिक विद्यालयों का नाम हिन्दी एवं उर्दू में लिखने का आदेश सभी प्रधानों एवं पदाधिकारियों को दिया जा रहा है |
बता दें कि इस आयोजन की अध्यक्षता डॉ.फसीह उद्दीन अहमद ने की और कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम में डॉ.अबुल फजल द्वारा शानदार तरीके से संपन्न किया गया | भारी संख्या में छात्र-शिक्षक एवं बुद्धिजीवियों की उपस्थिति अन्त तक बनी रही |
यह भी जानिये कि सेमिनार के दूसरे दिन विश्वविद्यालय के पी.जी. उर्दू विभाग एवं बिहार उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में तकनीकी सत्र के दरमियान अध्यक्षता करते हुए डॉ.एहसान ने जहाँ कहा कि उर्दू का भविष्य उज्जवल है, वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के डॉ.सैफुल्लाह सैफी ने कहा कि उर्दू सद्भावना की भाषा है |
सेमिनार में डॉ.प्रज्ञा प्रसाद, डॉ.अबुल फजल, सहनवाज आलम, मो.अशरफ, साहिल कौशर डॉ.के.सुल्ताना आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये |