Farog-E-Urdu Seminar is being inaugurated by Sahityakar Dr.Bhupendra Madhepuri, DM Navdeep Shukla and others at Bhupendra Smriti Kala Bhawan Madhepura.

मधेपुरा में फरोग-ए-उर्दू सेमिनार समारोह पूर्वक हुआ संपन्न

जिला मुख्यालय के भूपेन्द्र स्मृति कला भवन में रविवार के दिन बिहार उर्दू निदेशालय एवं जिला प्रशासन के सौजन्य से फरोग-ए-उर्दू सेमिनार का शानदार आगाज किया गया। इस अवसर पर ऊर्जावान युवा जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला, समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, प्राचार्य शकील अहमद, प्रो.गुल हसन, अधीक्षक मुर्तुजा आलम, जिला परिषद अध्यक्षा मंजू देवी, अध्यक्ष बौआ यादव, एडीएम उपेन्द्र कुमार एवं समाजसेवी शौकत अली ने समारोह का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सेमिनार को ऊँचाई देने वाले पंचायती राज पदाधिकारी व उर्दू प्रभारी अल्लामा मुख्तार द्वारा सभी अतिथियों को अंगवस्त्रम-बुके-बैज के साथ-साथ स्वागत गान से सम्मानित किया गया।

Samajsevi-Sahityakar Dr.Bhupendra Madhepuri greeting the grand Shaiyar Dr.Noor Mohammed in presence of Deputy Collector & Urdu-in-Charge Allama Mukhtar & others at Bhupendra Smriti Kala Bhawan, Madhepura.
Samajsevi-Sahityakar Dr.Bhupendra Madhepuri greeting the grand Shaiyar Dr.Noor Mohammed in presence of Deputy Collector & Urdu-in-Charge Allama Mukhtar & others at Bhupendra Smriti Kala Bhawan, Madhepura.

जहाँ डीएम मधेपुरा ने इस मौके पर उर्दू भाषा के विकास पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि उर्दू सरीखे सरल भाषा का इस्तेमाल सभी को करना चाहिए क्योंकि उर्दू द्वितीय राजभाषा है वहीं एडीएम उपेन्द्र कुमार ने कहा कि हिन्दी और उर्दू सगी बहनें हैं, एक माँ है तो दूसरी माँसी….. दोनों एक साथ हो तो लेखनी प्रभावशाली हो जाती है।

Minority Hostel Superintendent Md.Murtuza receiving certificate & prize from Dr.B.N.Yadav Madhepuri in Farog-E-Urdu Seminar at Bhupendra Kala Bhawan Madhepura.
Minority Hostel Superintendent Md.Murtuza receiving certificate & prize from Dr.B.N.Yadav Madhepuri in Farog-E-Urdu Seminar at Bhupendra Kala Bhawan Madhepura.

मौके पर डॉ.मधेपुरी ने कहा कि चार भाषाओं- महाराष्ट्री सौरसेनी, मगधी एवं अर्धमगधी मिलकर 8वीं शताब्दी के आसपास हिन्दी आई…. तथा अरबी, फारसी और हिन्दी मिलकर 10वीं शताब्दी के आसपास उर्दू भाषा को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि अभी संसार में छह हजार से अधिक भाषाएं और सैकड़ों लिपियाँ हैं। कोसी के इतिहासकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ की पुस्तक “अंगलिपि का इतिहास” में 84 लिपियों की चर्चा है जो भागलपुर विश्वविद्यालय के एमए पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

इस अवसर पर मौलाना बदरुद्दीन, शायर अल्लामा साहब, फिरोज जख्मी एवं दरभंगा से आए तीन शायरों- डॉ.नूर मोहम्मद, मो.मुस्ताक आदि ने मजलिस को जानदार बना दिया। प्रभारी अल्लामा मुख्तार ने बीच-बीच में मंच को जानदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। उर्दू जुबान में बोलने वाले बच्चों एवं बड़ों को नगद पुरस्कार व प्रमाण पत्र दिया गया। भोजन-पानी का उत्तम प्रबंध देखा गया। अंत-अंत तक जिला अल्पसंख्यक पदाधिकारी रजनीश कुमार राय, डीपीओ मोहम्मद कबीर, वरीय उप-समाहर्ता अजमल खुर्शीद, अल्पसंख्यक छात्रावास के अधीक्षक मुर्तुजा आलम एवं अनवारुल हक व अधिवक्ता जावेद अकरम मौजूद रहे।

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