जदयू के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य बशिष्ठ नारायण सिंह लगातार तीसरी बार बिहार प्रदेश जदयू के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में इस निर्वाचन के बाद वे अपना चौथा कार्यकाल शुरू करेंगे। सबसे पहले 2010 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया था। तब तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने मंत्री बनने पर प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय से बशिष्ठ नारायण सिंह लगातार जदयू के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
बहरहाल, बशिष्ठ नारायण सिंह ने पटना स्थित पार्टी मुख्यालय में 11 सेट में अपना नामांकन पत्र पार्टी के निर्वाचन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह के समक्ष भरा। इस मौके पर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) आरसीपी सिंह, मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, श्याम रजक, नरेन्द्र नारायण यादव, जयकुमार सिंह, संतोष निराला, सांसद चन्देश्वर चन्द्रवंशी, संतोष कुशवाहा, विधानपार्षद संजय गांधी, विधायक रंजू गीता, राष्ट्रीय सचिव रविन्द्र सिंह, मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह, मुख्यालय प्रभारी डॉ. नवीन कुमार आर्य, अनिल कुमार, कामाख्या नारायण सिंह, परमहंस, चंदन कुमार सिंह एवं जदयू मीडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमरदीप समेत कई वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी और विभिन्न जिलों के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मौजूद रहे।
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए गुरुवार को दिन के 12.30 बजे तक पर्चा दाखिल किया जाना था। इसी दिन दोपहर में स्क्रूटनी और शाम तक नाम वापसी का समय तय था। बशिष्ठ नारायण सिंह को छोड़कर किसी और ने पर्चा दाखिल नहीं किया। ऐसे में वे निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए। नाम वापसी का समय समाप्त होते ही शाम 5.30 बजे निर्वाचन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने सर्वसम्मति से उनके प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित होने की घोषणा की। बता दें कि उनके नाम का प्रस्ताव पार्टी के 11 नेताओं ने किया था, जिनमें राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) आरसीपी सिंह, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और उद्योग मंत्री श्याम रजक शामिल थे।
नामांकन दाखिल करने के बाद बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उनकी कोशिश जदयू को और मजबूत करने की होगी। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आस्था जताते हुए उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में बिहार में परिवर्तन और विकास के कई नए अध्याय रचे गए हैं लेकिन अभी और बहुत काम करने हैं। नया बिहार बनाना है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में मौन क्रांति की शुरुआत हुई है, उसे मुकाम तक ले जाना है। इसके लिए तेजी से काम भी हो रहा है।