अमेजन के जंगल के वृक्षों से धरती के लिए आवश्यक कुल ऑक्सीजन का 20 फ़ीसदी हिस्सा हमें मिलता है। किंतु, धरती का फेफड़ा कहलाने वाला अमेजन का वह जंगल आज धधक रहा है….. जिसके कारण समस्त संसार के पर्यावरणविद् चिंतित हो रहे हैं। भला क्यों नहीं, ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में अमेजन बेसिन का बहुत बड़ा योगदान है।
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए फ्रांस में आयोजित G-7 सम्मेलन में भी अमेजन में लगी आग की गर्मी महसूस की गई तथा आग को बुझाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी रखने की चर्चा बार-बार की जाती रही। यह भी कहा गया कि यह आग एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप की वायु को प्रभावित यानी प्रदूषित करने में सक्षम है। यह विषैला धुआँ अटलांटिक तट तक फैल गया है।
यह भी जानिए कि आसमान में एक ऐसी आंख (नासा का एक्वा सेटेलाइट) है जो टकटकी लगाए अमेज़न में लगी आग से प्रदूषित हो रहे वायुमंडल का आकलन कर रही है। इस आग से 228 मेगाटन कार्बन डाइऑक्साइड निकलने का अनुमान है। एक्वा सेटेलाइट द्वारा अमेजन के जंगलों में लगी आग से निकल रही जहरीली गैस कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा का भी आकलन किया जा रहा है जो गैस हवा के संग लंबी दूरी तय करने के साथ-साथ लगभग 1 महीने तक वायुमंडल में मौजूद रहती है। इसके बाद ही कार्बन मोनोऑक्साइड का असर समाप्त होता है।
चलते-चलते यह भी बता दें कि फिलहाल यह गैस बहुत अधिक ऊंचाई लगभग 18 हजार फीट पर है लिहाजा जिस वायु को लोग सांस के साथ अंदर लेते हैं वह तत्काल इससे अछूती है… लेकिन यदि तेज हवा इसके प्रदूषक तत्वों को धरती की तरफ धकेल देगी तो दुनिया के अधिकांश हिस्से की वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है तब लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा।