चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर या कहें दो कदम दूर लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया, लेकिन सवा सौ करोड़ भारतीयों की उम्मीदें नहीं टूटी हैं। मून मिशन में भले ही शत प्रतिशत सफलता नहीं मिल पाई हो, लेकिन जितनी मिली है, इतिहास रच देने के लिए वो भी कम नहीं। इस अभियान के जरिये इसरो ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
बहरहाल, इसरो ने कई प्रयास के बाद मध्य रात्रि करीब दो बजे बताया कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया है। इसके बाद वैज्ञानिक लैंडर से दोबारा संपर्क नहीं साध पाए। इसरो का कहना है कि लैंडिंग के अंतिम क्षणों में जो डाटा मिला है, उसके अध्ययन के बाद ही संपर्क टूटने का कारण पता चल सकेगा।
इस मौके पर इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में दम साधकर इस अभियान को लाइव देख रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भावुक कर देने वाले उन क्षणों में वैज्ञानिकों की भरपूर हौसला आफजाई की और उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “देश को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है। वे देश की सेवा कर रहे हैं। आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी। मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूँ। हिम्मत बनाए रखें, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।”
गौरतलब है कि इसरो प्रमुख के. सिवन ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान की लांचिंग के मौके पर कहा था कि हमारे लिए आखिरी के 15 मिनट आतंक के पल होंगे। उनकी चिंता सही साबित हुई। मंजिल बस दो कदम दूर थी, लेकिन आखिरी मौके पर जीत हाथ से फिसल गई। वैसे बता दें कि लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर से उम्मीदें अभी भी कायम हैं। लैंडर-रोवर को दो सितंबर को ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग किया गया था। ऑर्बिटर अब भी चांद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर कक्षा में सफलतापूर्वक चक्कर लगा रहा है। इसरो को उससे संकेत और जरूरी डाटा प्राप्त हो रहे हैं।
चलते-चलते बस इतना कि मून मिशन में कामयाबी जल्द ही भारत के कदम चूमेगी। इस विश्वास के पीछे पहली वजह यह कि इसरो के साथ यह ख्याति जुड़ी है कि उसके लिए हर चुनौती एक अवसर होती है और दूसरी यह कि करोड़ों हाथ इस मिशन के लिए एक साथ उठकर दिन-रात दुआ कर रहे हैं।