आंखें छोटी भले हो लेकिन इसमें ताकत आसमान देखने की होती है। मधेपुरा आरंभ में छोटा सा सबडिवीजन था भागलपुर जिले के अंदर, सदर कचहरी भागलपुर ही हुआ करता। तब बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के सिमुलिया गांव से आकर आशुतोष मुखर्जी (बी.ए.) मधेपुरा के तत्कालीन सीरीज इंस्टिट्यूट (वर्तमान एसएनपीएम+2 स्कूल) में सकेंड टीचर बन शिक्षा दान करना आरंभ किए थे। उनके पौत्र पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रह चुके सुरेश चन्द्र मुखर्जी की प्रथम वार्षिकी (1 सितंबर 2019) को झारखंड हाई कोर्ट से न्यायमूर्ति आर.मुखोपाध्याय (भातीज), लंदन से उनके बड़े पुत्र डॉ.कौशिक मुखोपाध्याय एवं छोटे पुत्र ई.अर्निवान मुखोपाध्याय सहित मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, डॉ अरुण कुमार मंडल, डॉ.दिवाकर सिंह, प्राचार्य डॉ.शिव नारायण यादव व डॉ.सुरेश प्रसाद यादव, उद्दालक घोष, इंद्रनील घोष आदि गणमान्यों द्वारा निष्ठापूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम आशुतोष मुखर्जी पथ वाले लालकोठी निवास एवं स्थानीय जीवन सदन में आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर खोजी प्रवृत्ति के न्यायमूर्ति आर.मुखोपाध्याय देर तक डॉ.मधेपुरी से मधेपुरा के भूले-बिसरे अतीत को जानने में लगे रहे। ऋष्यश्रृंग के सिंहेश्वर स्थान के इतिहास के प्रति न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय की अभिरुचि को देख कर ही तो डॉ.मधेपुरी ने स्वरचित दो पुस्तकें- रास बिहारी लाल मंडल : पराधीन भारत में स्वाधीन सोच एवं इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल तथा एक पुस्तक हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ रचित शैव अवधारणा और सिंहेश्वर स्थान…. ये तीनों पुस्तकें ससम्मान भेंट की।
चलते-चलते यह भी बता दें कि पुण्यतिथि पर आयोजित प्रथम वार्षिकी के धार्मिक अनुष्ठानों में संपूर्ण समर्पण के साथ सपरिवार संलग्न देखे गए मिसेज डॉ.नंदिता मुखर्जी, डॉ.कौशिक, डॉ.नीलांजना, आकाश, अभिलाष सहित ई.अर्निवान, रूमिला, आयुष, तनीषा एवं अन्य शुभेच्छुगण।