Ashish Saxena (IAS) MP

इस तरह कलक्टर आशीष सक्सेना बने उच्च कोटि के समाज सुधारक

वर्तमान में आशीष सक्सेना (IAS) बतौर अपर आयुक्त, नगरीय प्रशासन व विकास संचनालय, भोपाल (मध्य प्रदेश) में कार्यरत हैं | मध्यप्रदेश के झाबुआ में दहेज प्रथा पर अंकुश लगाने वाले तत्कालीन कलक्टर आशीष सक्सेना कुशल प्रशासक ही नहीं सर्वाधिक संवेदनशील हृदय के व्यक्ति हैं |

बता दें कि झाबुआ क्षेत्र में ‘वधू मूल्य प्रथा’ का चलन जोरों पर था  | वधू मूल्य प्रथा में होता यही है कि वर पक्ष लड़की के पिता को अच्छी खासी राशि देता है और लड़की के पिता राशि के लालच में कम उम्र में ही बेटी की शादी तय कर देता है | वर्षों पुरानी इस कुरीति से झाबुआ का समाज ग्रसित होता चला आ रहा था |

कलेक्टर आशीष बताते हैं कि झाबुआ की एक 13 वर्षीय रेखा नाम की आदिवासी लड़की की पीड़ा ने उनके संवेदनशील हृदय को इस कदर परेशान कर दिया कि उन्होंने अपने 28 महीने (सितंबर 2016 से दिसंबर 2018) तक के कार्यकाल में इस दहेज दापा के कलंक से हजारों-हजार बालिकाओं को मुक्ति दिलाने का सराहनीय काम कर दिखाया |

जानिए कि यह सब हो कैसे गया ? वह 13 वर्षीय रेखा भूरिया जब तमिलनाडु में आयोजित “राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता” में पदक जीतकर लौटी और अपने प्रशिक्षक के साथ वह कलेक्टर आशीष सक्सेना से मिलने कलेक्ट्रेट पहुंची तो सक्सेना ने रेखा से उसके भविष्य के बारे में कुछ बातें की और उसी दरमियान आशीष ने जब यह पूछा कि बड़ी होकर तुम क्या बनना चाहती हो ….. यह सुनते ही रेखा की आंखें डबडबा गईं |

खामोशी को तोड़ते हुए रेखा के प्रशिक्षक जितेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि इसकी शादी उसके पिताजी द्वारा तय कर दी गई है….. इसलिए वह दुखी है | कलक्टर आशीष रेखा के परिजनों से मिलकर उसकी शादी के शगुन के रूप में पिता ने जो राशि वर पक्ष से ली थी वह लौटाने के लिए उन्हें राजी कर लिया | रेखा को छात्रावास में भर्ती करवाया गया और उसने आगे की पढ़ाई शुरू कर दी | बस यहीं से कलेक्टर आशीष सक्सेना ने दहेज दफा के खिलाफ कमर कस ली |

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