पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का निधन

देश के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद आज दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वे 67 वर्ष के थे। उन्हें कुछ दिन पहले ही सांस लेने में दिक्‍कत के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर मिलते ही राजनीतिक जगत में शोक की लहर व्याप्त है। उनका अंतिम संस्कार कल दोपहर बाद दिल्ली के निगम बोध घाट पर होगा।

28 दिसंबर 1952 को में दिल्ली में जन्मे अरुण जेटली की प्रारंभिक शिक्षा वहां के सेंट जेवियर स्कूल में हुई। दिल्ली के ही प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने ग्रैजुएट और लॉ फैकल्टी से कानून की पढ़ाई की। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत एबीवीपी से हुई और 1977 में वे दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। इसी साल उन्हें एबीवीपी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। आपातकाल के दौरान युवा जेटली जेपी के आंदोलन में शामिल हो गए। इस दौरान वे जेल भी गए और वहीं उनकी मुलाकात उस वक्त के वरिष्ठ नेताओं से हुई। जेल से निकलने के बाद भी उनका जनसंघ से संपर्क बना रहा और 1980 में उन्हें भाजपा के यूथ विंग का प्रभार सौंपा गया। इस समय भाजपा अटल-आडवाणी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही थी और पार्टी के बढ़ने के साथ ही जेटली का कद भी लगातार बढ़ता गया। इस दौरान पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर भी उन्होंने देश भर में प्रतिष्ठा और चर्चा हासिल की।

साल 1999 में अरुण जेटली वाजेपेयी सरकार में राज्यमंत्री बने। एक साल के भीतर ही उन्हें कैबिनेट में जगह दे दी गई। उन्हें कानून मंत्रालय के साथ ही विनिवेश मंत्रालय का भी जिम्मा सौंपा गया। 2009 में जेटली को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। नेता प्रतिपक्ष के रूप में जेटली बहुत तैयारी के साथ सरकार को घेरते थे। तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे जेटली ने 2014 में पहली बार अमृतसर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों चुनाव हार गए। इस हार के बावजूद उनके कद पर कोई असर नहीं पड़ा और मोदी कैबिनेट में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। साथ ही राज्यसभा में सदन का नेता भी। 2019 में वे स्वास्थ्य कारणों से न तो चुनाव लड़े, न ही सरकार में शामिल हुए।

विलक्षण प्रतिभा के धनी अरुण जेटली प्रतिष्ठित राजनेता होने के साथ ही देश के बेहतरीन वकीलों में भी शुमार किए जाते हैं। 80 के दशक में ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और देश के कई हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण केस लड़े। 1990 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने सीनियर वकील का दर्जा दिया। वीपी सिंह की सरकार में उन्हें मात्र 37 वर्ष की उम्र में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का पद मिला। बोफोर्स घोटाला, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी नाम था, उन्होंने 1989 में उस केस से संबंधित पेपरवर्क किया था। पेप्सीको बनाम कोका कोला केस में जेटली ने पेप्सी की तरफ से केस लड़ा था। ‘मधेपुरा अबतक’ की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि..!

सम्बंधित खबरें