जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत राज्य में 2 लाख कुओं के जीर्णोद्धार कार्य को राज्य सरकार ने अपने कार्य सूची में शामिल किया है। मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि सूबे में ढ़ाई लाख कुओं की पहचान की गई है जिसमें लगभग 2 लाख सार्वजनिक उपयोग में आने वाले कुएं हैं, शेष करीब 50 हजार कुएं निजी उपयोग वाले हैं।
बता दें कि इन 2 लाख कुओं के कायाकल्प को लेकर मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया है। राज्य सरकार को प्राप्त सूची पीएचईडी को दे दी गई है। सार्वजनिक उपयोग वाले कुओं को चिन्हित कर उनका कायाकल्प पीएचईडी करेगा जिसकी शुरुआत भी पीएचईडी द्वारा कर दी गई है। कुओं को जाली से ढका भी जा रहा है।
सूबे में हरित आवरण करने हेतु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 17% का लक्ष्य रखा है। इस अभियान के तहत प्रमुख कार्यों में सबसे प्रमुख है- पौधे तैयार करने की क्षमता बढ़ाना। इस हेतु कुछ नई पौधशालाएं खोली जाएंगी। वन विभाग की खाली जमीन पर भी पौध तैयार करने का काम शुरू किया जाएगा। फिलवक्त सभी सरकारी नर्सरीयों की क्षमता प्रतिवर्ष 1 करोड़ 60 लाख पौधे तैयार करने की है।
चलते-चलते यह भी बता दें कि जिस रफ्तार से आबादी का विस्तार हो रहा है, उसके अनुपात में हरियाली कम है। सूबे की सरकार ने इस अनुपात को छूने के लिए हर साल 4 करोड़ पौधे तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। तत्काल बिहार में 180 सरकारी पौधशालाएं हैं। फिलहाल 1 करोड़ 60 लाख की क्षमता है जिसे 4 करोड़ करने की तैयारी की जानी है।