सेनानियों एवं शहीदों को जीवंत रखने में वर्षों से लगे हैं समाजसेवी डॉ.मधेपुरी। प्रखर स्वतंत्रता सेनानी भूपेन्द्र नारायण मंडल को जीवित करने के लिए उन्होंने 1975 ई. में भूपेन्द्र नारायण मंडल वाणिज्य महाविद्यालय की स्थापना की और वर्तमान भूपेन्द्र चौक (कॉलेज चौक) पर जन सहयोग से उनकी प्रतिमा लगाई। तत्कालीन मुख्यमंत्री के हाथों प्रतिमा का अनावरण कराया। दिनांक 4 फरवरी 1991 को प्रतिमा अनावरण के बाद भूपेन्द्र नारायण मंडल के नाम विश्वविद्यालय की घोषणा को लेकर संयोजक डॉ.मधेपुरी की मांग को उसी दिन एक महती जनसभा में मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने स्वीकृति दे दी।
भूपेन्द्र बाबू से पूर्व के स्वतंत्रता सेनानी बाबू रास बिहारी लाल मंडल एवं क्रांतिवीर शिवनंदन प्रसाद मंडल को जीवंत बनाए रखने हेतु डॉ.मधेपुरी ने अपने छात्र जीवन में ही मन बना लिया था कि आगे आने वाले दिनों में उनकी प्रतिमाएं उनके नाम वाले विद्यालय में अवश्य लगेेंगी क्योंकि डॉ.मधेपुरी दोनों स्कूल के छात्र रहे हैं। अक्षर का क्षय नहीं होता इसलिए डॉ.मधेपुरी ने इन तीनों मनीषियों की जीवनी भी लिखी, जो भटक रहे समाज को राह दिखाने का काम करेगी। इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखी गई पुस्तकें हैं- 1. रास बिहारी लाल मंडल : पराधीन भारत में स्वाधीन सोच 2. इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल 3. बूंद बूंद सचः एक सागर का (भूपेद्र बाबू की जीवनी)
जहाँ तक शहीदों को जीवंत रखने की बात आती है उसे बड़ी सहजता से पूरा किया है डॉ.मधेपुरी ने… वर्ष 1943 में मात्र 23 वर्ष की उम्र में शहीद हुए चुल्हाय यादव के नाम पर डाक बंगला रोड का नाम जिला परिषद व नगर परिषद के सहयोग से डॉ.मधेपुरी ने “शहीद चुल्हाय मार्ग” नामित कराया और हाल में उसी रोड के पश्चिमी बाईपास चौक को ‘शहीद चुल्हाय चौक’ नाम दिया है।
इसी जिले के किशुनगंज अनुमंडल के शहीद बाजा साह एवं जिले के अन्य शहीदों- शहीद चुल्हाय यादव, शहीद सदानंद, शहीद प्रमोद कुमार (फुलकाहा), शहीद प्रमोद कुमार (चामगढ़), शहीद शंकर रजक आदि को जीवंत रखने के लिए डॉ.मधेपुरी ने स्थानीय गांधी चिल्ड्रन पार्क के अंदर तत्कालीन डीएम मो.सोहैल (IAS) के कार्यकाल में उनके ही द्वारा शहीद पार्क का उद्घाटन कराया तथा एक अनाम पार्क को भी डॉ.मधेपुरी ने जिला प्रशासन व नगर परिषद के सहयोग से ‘डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम पार्क’ नाम घोषित कराया।
हाल-फिलहाल डॉ.मधेपुरी ने सहरसा में 29 अगस्त 1942 को शहीद हुए 6 शहीदों में एक भोला ठाकुर की सौ वर्षीया धर्मपत्नी श्रीमती बेचनी देवी से मिलने प्राचार्य डॉ.विनय कुमार चौधरी के साथ चैनपुर गाँव गए। डॉ.मधेपुरी ने अपनी ‘आजादी’ शीर्षक वाली पूरी कविता का पाठ कर सबों की आँखें नम कर दी। कुछ देर बाद आशीष प्राप्त किया और जितना बन पड़ा उनकी परेशानियों को बाँटे और आज तक उस शहीद माता की सेवा में प्रति माह एक सम्मानजनक राशि भेज रहे हैं डॉ.मधेपुरी……