दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री, भारत की पूर्व विदेश मंत्री व भाजपा की अत्यंत सम्मानित नेत्री, जिनकी प्रतिष्ठा दलगत सीमाओं से ऊपर थी, सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। रात 9 से 10 बजे के बीच दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स ले जाया गया, जहां से उनका लौटना नहीं हो पाया और अपने व्यक्तित्व और वक्तृता के लिए विशिष्ट पहचान रखने वाली सुषमा जी 67 साल की उम्र में इस दुनिया से रुखसत हो गईं।
अजीब संयोग देखिए कि अपनी मृत्यु के महज कुछ घंटे पहले ही सुषमा जी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने पर बधाई दी थी। अपने इस आखिरी ट्वीट में उन्होंने लिखा था – प्रधानमंत्री जी, आपका हार्दिक अभिनन्दन। मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी। इस ट्वीट के कुछ घंटे बाद ही देश ने जाना कि वे नहीं रहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए बिल्कुल सही कहा कि ‘भारतीय राजनीति का एक गौरवशाली अध्याय खत्म हो गया। एक ऐसी नेता जिन्होंने जनसेवा और गरीबों का जीवन संवारने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी, उनके निधन पर भारत दुखी है। सुषमा स्वराज जी अपनी तरह की इकलौती नेता थीं, वे करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा की स्रोत थीं।’
अद्भुत वक्ता और विदुषी के रूप में पहचान बनाने वाली सुषमा स्वराज मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री थीं। वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रही थीं। 1977 में वे हरियाणा सरकार में मंत्री बनी थीं और सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया था।
16वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से सांसद चुनी गई थीं। इस बार के चुनाव में उन्होंने खराब स्वास्थ्य की वजह से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। पिछली सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए सोशल मीडिया पर शिकायतों को सुनने और उनका त्वरित निपटारा करने के कारण उनकी लोकप्रियता में और इजाफा हुआ था। विचारों की स्पष्टता, व्यक्तित्व की गरिमा और सांस्कारिक भव्यता के कारण वे हमेशा याद की जाएंगी। उन्हें ‘मधेपुरा अबतक’ की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।