मधेपुरा के भूपेन्द्र कला भवन में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) द्वारा कलम के जादूगर कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर शरद जोशी द्वारा लिखित नाटक ‘एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ” का मंचन किया गया | इस नाटक का निर्देशन सुभाष चंद्र तथा रूप सज्जा व प्रकाश व्यवस्थादि कपूर कुमार ने किया |
बता दें कि नाटक का उद्घाटन सदर एसडीएम वृंदा लाल, इप्टा के संरक्षक डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, एसडीपीओ वसी अहमद, उपाध्यक्ष प्रो.शचीन्द्र, मुख्य संरक्षक प्रो.श्यामल किशोर यादव, मुखिया लक्ष्मी कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया |
यह भी बता दें कि जहाँ सदर एसडीओ ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि आज दुनिया स्मार्टफोन में सिमटती जा रही है, परंतु नाटक के माध्यम से लोग किसी भी बात को आसानी से समझ सकते हैं, वहीं एसडीपीओ ने कहा कि नाटक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने व शामिल होने से मानसिक तनाव दूर होने में सहायता मिलती है |
इस अवसर पर कथा सम्राट प्रेमचंद को शब्द-सुमन अर्पित करते हुए साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि वे ऐसे साहित्यकार थे, जिनके हृदय में व्यक्ति, समाज और देश तीनों सदैव विराजता था | डॉ.मधेपुरी ने कहा कि उपन्यासकार धनपत राय श्रीवास्तव उर्फ मुंशी प्रेमचंद का संपूर्ण साहित्य दलित, दमित, स्त्री, किसान और तत्कालीन समाज में हाशिये पर जी रहे लोगों की लड़ाई का साहित्य है | उसे नाटक के माध्यम से प्रस्तुति देने हेतु इप्टा मधेपुरा के जिला अध्यक्ष डॉ.नरेश कुमार की पूरी टीम को डॉ.मधेपुरी ने बधाई दी और रामकली व धोबी की मार्मिक भूमिका निर्वहन करने वाले बबलू को भी पुरस्कृत किया |
वर्तमान युग की राजनीति पर व्यंग कसने वाले इस नाटक में राजनेताओं द्वारा गरीबों को मूर्ख बना कर सत्ता हासिल करने के साथ-साथ ‘आमजनों के शोषण के तरीकों’ की नाटकीय की प्रस्तुति को भी दर्शकों ने तालियाँ बजा-बजाकर खूब सराहा |
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष, मुख्य संरक्षक सहित मुखिया लक्ष्मी कुमारी ने कार्यक्रम को संबोधित किया और अंजली-अनीषा-सानू सहित सुभाष-अमित-सुमन, शशि-राजा-शंकर, चमन-नीतीश-अमरदीप, रंजीत-सुशील आदि ने अपनी-अपनी भूमिका को जीवंत बना कर ढाई घंटे के इस नाटक के दरमियान दर्शकों को बाँधे रखा….. किसी को उठने नहीं दिया रामकली की भूमिका में भाव नृत्य का मनमोहक रूप प्रस्तुत करने वाली अनिसा कुमारी और धोबी की भूमिका में छाती पीट-पीटकर ‘अलादाद…. अलादाद…. अलादाद’ की करुण पुकार करने वाला बबलू |
मौके पर इप्टा संरक्षक डॉ.सिद्धेश्वर कश्यप, दशरथ प्रसाद सिंह, डॉ.आलोक कुमार, प्रो.शंभू शरण भारतीय, संदीप शांडिल्य, रितेश मोहन झा, आशीष सोना सहित उपस्थित श्रोताओं के बीच अध्यक्षीय संबोधन व धन्यवाद ज्ञापन के साथ डॉ.नरेश कुमार ने समापन की घोषणा की |