लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी तीन तलाक को अपराध बनाने वाला बिल – मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक – पास हो गया। कई दलों के वॉकआउट करने या अनुपस्थित रहने की वजह से राज्यसभा में बिल का रास्ता आसान हो गया था। दरअसल जेडीयू, एआईएडीएमके, बीएसपी और टीआरएस जैसे बड़े दलों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। एआईएडीएमके और जेडीयू जैसे दलों के वॉकआउट और बीजेडी के समर्थन से बिल पास कराने में सत्ताधारी दल को बड़ी मदद मिली। तीन साल की सजा और जुर्माने के प्रावधान वाले इस बिल को लोकसभा से 26 जुलाई को ही मंजूरी मिल चुकी है।
कहने की जरूरत नहीं कि केन्द्र की मोदी सरकार के लिए यह बिल प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका था। इसे पास कराने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं रखना चाहती थी। आज भी उसने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था। दरअसल 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में भाजपा के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं। बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था। ऐसी स्थिति में अन्य दलों के सांसदों की अनुपस्थिति से ही सरकार की राह आसान हो सकती थी। ऐसे में एआईएडीएमके के 11, जेडीयू के 6, टीआरएस के 6, बीएसपी के 4 और पीडीपी के 2 सांसद की अनुस्थिति से भाजपा की स्थिति मजबूत हो गई। सपा के भी कुछ सांसद वोटिंग में शामिल नहीं हुए।
बहरहाल, राज्यसभा में इस बिल पर लगभग साढ़े चार घंटे बहस चली। इस दौरान विपक्ष ने बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजने का प्रस्ताव रखा। लेकिन यह प्रस्ताव 100/84 से गिर गया। इसके बाद विधेयक के लिए वोटिंग कराई गई जिसमें इसके पक्ष में 99, जबकि विपक्ष में 84 वोट पड़े। इस तरह राज्यसभा में आसानी से यह बिल पास हो गया।