Dr.Bhupendra Madhepuri, Prof.Shyamal Kishore Yadav, Chandrashekhar Kumar and others at Varisth Nagrik Seva Sangthan meeting on Mritubhoj .

बंद करें मृत्यु भोज यह सामाजिक कलंक है…. बुराई है…. अभिशाप है- डॉ.मधेपुरी

मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सुखासन पंचायत के सरकार भवन परिसर में वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन के चतुर्थ स्थापना दिवस पर वृहद समारोह सह सामाजिक कुरीति से जुड़े “मृत्यु भोज का औचित्य” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन की रीढ़ बने सिंहेश्वर प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष सह मुखिया किशोर कुमार पप्पू।

बता दें कि आयोजन के उद्घाटनकर्ता पूर्व प्रमुख उपेंद्र नारायण यादव, अध्यक्ष डॉ.शिव नारायण यादव, मुख्य वक्ता डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, विशिष्ट अतिथि प्रो.शचिंद्र, प्रो.श्यामल किशोर यादव आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का श्रीगणेश किया। आरंभ में स्कूली बच्चियों ने नृत्य के साथ स्वागत गान की प्रस्तुति दी।

सर्वप्रथम उद्घाटनकर्ता ने मृत्यु भोज को गरीब तबके के लोगों के लिए सत्यानाश बताते हुए कहा कि मृत्यु भोज के जाल में फसकर गरीब जीवन भर के लिए कर्ज के बोझ से लद जाता है। इस अंधविश्वास को मिटाने के लिए वरिष्ठ नागरिक सेवा संगठन के अध्यक्ष दुर्गानंद विश्वास, सचिव भरत चंद्र भगत एवं विश्व नशा उन्मूलन को समर्पित संत गंगादास को तत्पर देखे जाते हैं। अध्यक्षता करते हुए डॉ.शिव नारायण यादव ने समाज के सभी वर्गों से मृत्यु भोज के अपव्यय एवं व्यर्थ के आडंबर से धीरे-धीरे मुख मोड़ने की अपील की।

इस आयोजन के मुख्य वक्ता समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने अपने विस्तृत संबोधन में अध्यात्म और विज्ञान दोनों ही दृष्टिकोण से ‘मृत्यु भोज के औचित्य’ का विश्लेषण करते हुए यही कहा कि मृत्यु भोज सामाजिक कलंक है ….बुराई है….. अभिशाप है। डॉ.मधेपुरी ने बार-बार समाज को लीक से हटकर इस कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने हेतु विचार करने को कहा। साथ ही आँखें मूंदकर अंधविश्वास के मकड़जाल में नहीं जीने के लिए लोगों से उन्होंने अपील की…. और यही कहा कि मानव-विकास के रास्ते में ऐसी गंदगी कैसे पनप गई….. यह समझ से परे है। मरने पर सगे-संबंधी भोज करें, उसमें मिठाइयाँ बांटे एवं खुद मिठाइयाँ खाएं- यह तो एक सामाजिक बुराई है जिसके खात्मा के लिए हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा।

मौके पर प्रो.शचिंद्र, प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.शेखर कुमार, उपेंद्र रजक, शशि सिन्हा आदि ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मृत्यु भोज का परित्याग हो। इस बावत आयोजन में उपस्थित हरिप्रसाद टेकरीवाल, सोहन कुमार वर्मा, ब्रह्मदेव यादव, सुबोध शर्मा, अशोक मेहता, मोहन मिश्रा, राजेश कुमार रंजन, शिवचंद्र चौधरी, तनीक चौधरी, राहुल कुमार आदि उपस्थित जनों ने माता-पिता व श्रेष्ठ जनों की सेवा करने तथा मृत्यु भोज न करने की शपथ ली।

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