कोसी अंचल के पूर्णिया जिले के बड़हरा कोठी प्रखंडान्तर्गत एक गाँव है- मगुरजान | उस गाँव की दिव्यांग बेटी का नाम है- रूपम | माँ चाँदनी देवी एवं पिताश्री बहादुर साह की (जन्म से ही दोनों हाथों से विकलांग) बेटी रूपम गाँव के बच्चों को पढ़ते-लिखते और स्कूल जाते देखकर हमेशा यही सोचा करती कि वह भी पढेगी….. अवश्य पढेगी और पढ़-लिखकर गरीब तथा लाचार व बेबस बच्चों को अच्छी शिक्षा देगी |
बता दें कि जन्मजात दिव्यांग रूपम ने पाँव को ही हाथ बना लिया और हाथों की जगह पैर से ही कलम पकड़ ली | जी हाँ, शुरू में रूपम को काफी परेशानियाँ हुई, लेकिन उसके हौसले एवं पढ़ने की ललक के सामने कोई अवरोध उसके मार्ग को अवरुद्ध नहीं कर सका | उसने 2014-16 सत्र में हिन्दी से एमए कर ली |
यह भी जानिए कि जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग रूपम जब विगत शुक्रवार को भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस स्थित Examination Hall पहुंची तो उसके हौसले को देखकर पीएचडी ऐडमिशन टेस्ट देने आये सभी 886 परीक्षार्थियों सहित सारे वीक्षक भी हैरान ही नहीं हुए बल्कि पैरों से कलम पकड़कर सुंदर व स्पष्ट लिखावट लिखने वाली रूपम को देखकर दंग रह गये |
चलते-चलते यह भी बता दें कि जब रूपम अपने पैरों से कलम थाम कर नॉर्थ केंपस के परीक्षा भवन में Pre-PhD टेस्ट के सारे सवालों का जवाब लिख रही थी तो जानकारी पाते ही कुलपति डॉ.अवध किशोर राय, प्रति कुलपति डॉ.फारुख अली, डीन सोशल साइंस डॉ.शिव मुनि यादव आदि विश्वविद्यालय पदाधिकारीगण भी खुद को नहीं रोक पाये और उसके हौसले को सलाम करते हुए सबों ने यही कहा कि दिव्यांग होते हुए भी उच्च शिक्षा पाने के प्रति रूपम का उत्साह व अंतर्मन का संकल्प सराहनीय है….. रूपम जैसे संकल्पी लोग ही समाज के लिए उदाहरण बनते हैं | विश्वविद्यालय के सभी आलाधिकारी से लेकर पदाधिकारी तक रूपम के उज्जवल भविष्य की कामनाएं की |