मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार, 2 जून 2019 को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। पूर्वाह्न 11.30 बजे राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने आठ नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके उपरान्त उनके विभागों की भी घोषणा कर दी गई। कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी किय़ा गया। इस मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किए गए सभी मंत्री जदयू के हैं, जबकि भाजपा ने अपने कोटे की जगह को बाद में भरने का फैसला किया। विदित हो कि लोकसभा चुनाव के बाद संसद पहुंचे मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, दिनेशचन्द्र यादव और पशुपति कुमार पारस ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार को तय माना जा रहा था।
बहरहाल, इस विस्तार में जदयू के जिन आठ नेताओं को नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला, उनके नाम और विभाग इस प्रकार हैं: नरेन्द्र नारायण यादव (लघु जल संसाधन विभाग तथा विधि विभाग), श्याम रजक (उद्योग विभाग), अशोक चौधरी (भवन निर्माण विभाग), बीमा भारती (गन्ना विकास विभाग), रामसेवक सिंह कुशवाहा (समाज कल्याण विभाग), नीरज कुमार (सूचना व जनसंपर्क विभाग), लक्ष्मेश्वर राय (आपदा प्रबंधन विभाग) और संजय झा (जल संसाधन विभाग)। इनमें पांच विधायक और तीन विधानपार्षद हैं।
नए मंत्रियों को शामिल करने के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी किया, उनके नाम और अब वे जिस विभाग का काम देखेंगे वे इस प्रकार हैं: जयकुमार सिंह (विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग), महेश्वर हजारी (योजना व विकास विभाग), प्रमोद कुमार (कला-संस्कृति व युवा विभाग), बिनोद कुमार सिंह (पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग), कृष्ण कुमार ऋषि (पर्यटन विभाग) और ब्रज किशोर बिंद (खान व भूतत्व विभाग)।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जदयू द्वारा सांकेतिक प्रतिनिधित्व अस्वीकार करने के तीन दिनों बाद बिहार के इस मंत्रिमंडल विस्तार के अलग राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं और इसे एनडीए में आए तथाकथित दरार का परिणाम बताया जा रहा है। इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एनडीए में कहीं कोई दरार नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा से बातचीत हो चुकी थी। भाजपा ने तय किया कि उनके कोटे का मंत्रिमंडल विस्तार आगे किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार की जरूरत इसलिए थी कि विधानमंडल का सत्र आने वाला है। सत्र के दौरान कम मंत्री रहने के कारण मुश्किल होती। मंत्रियों के अधिकांश पद जदयू कोटे के ही थे, इसलिए आठ मंत्री बनाए गए।
उधर भाजपा के वरिष्ठ नेता व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई विवाद नहीं है। मुख्यमंत्री ने भाजपा कोटे के मंत्रियों की रिक्तियां भरने की पेशकश की थी। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने फिलहाल इसे टाल दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में भी इसे दुहराया।