Indian Parliament

सत्तर वर्षों में मात्र 3 महिलाएं निर्दलीय चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंच पाई

अब तक लोकसभा चुनाव में हजार से अधिक महिलाएं निर्दलीय चुनाव लड़ी है। परन्तु, केवल तीन महिलाएं 4 बार निर्दलीय चुनाव जीत पाई हैं…. जिसमें मेनका गांधी ही 2 बार निर्दलीय जीत कर लोकसभा पहुंची है।

बता दें कि मेनका गांधी ‘पीलीभीत’ संसदीय क्षेत्र से लगातार दो बार (यानि वर्ष 1998 एवं 1999 में) निर्दलीय महिला उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंची। पहली बार वर्ष 1998 में मेनका ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अनीश खान को 2 लाख मतों से पराजित कर निर्दलीय के रूप में अपनी जीत दर्ज कराई और लोकसभा में प्रवेश की….. और दूसरी बार 1999 में ही अपने विरोधी को पुनः निर्दलीय लड़कर ही 2 लाख 39 हज़ार वोटों पराजित कर लोकसभा सदस्य बनी। फिलहाल 2004 से वह  भाजपा से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंच रही है। और हाँ ! यह भी जान लीजिए कि 2004 से अबतक कुल 528 महिलाएं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है परन्तु एक भी जीत नहीं पाई। जबकि विगत 3 चुनावों में (2004, 2009 & 2014) में अलग-अलग दलों से महिला सांसदों की संख्या कुल 165 रही है।

यह भी बता दें कि देश के पहले लोकसभा चुनाव में यानि 1952 में दो महिलाएं निर्दलीय जीत कर लोकसभा सदस्य बनी जिसमें एक थी… टिहरी राजपरिवार की राजमाता कमलेन्दुमती शाह,  जिन्होंने कांग्रेस के कृष्ण सिंह को 13982 वोटों से पराजित किया था।

और दूसरी महिला थी…. कुमारी एनी मस्कारीन जो देश के पहले चुनाव में त्रावणकोर- कोचीन राज्य के ‘त्रिवेंद्रम’ लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय खड़ी होकर सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी सह मुख्यमंत्री टी.के.नारायण पिल्ले को 68117 वोटों से हराकर 1952 में ही लोकसभा सदस्य के रूप में चुनी गई थी।

चलते-चलते यह भी बता दें कि विगत 20 वर्षों से कोई भी महिला निर्दलीय चुनाव लड़ कर लोकसभा में प्रवेश नहीं कर पाई है जबकि 2014 में 204 महिलाएं निर्दलीय चुनाव लड़़ी परन्तु कोई भी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई।

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