Dr.Madhepuri, Pro-VC Farooque Ali, Dr.Ashok Kumar, Asang Swaroop at 3rd Sthapna Diwas of Shrijan Darpan.

पाश्चात्य संस्कृति हमारी नई पीढ़ी पर हो रही है हावी- डॉ.मधेपुरी

सृजन दर्पण मधेपुरा की एक साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था है | सर्जन दर्पण अपना तीसरा स्थापना दिवस समारोह का आयोजन अपने प्रधान कार्यालय कृष्णापुरी, मधेपुरा (वार्ड न.- 4) के परिसर में किया |

इस अवसर पर समारोह का उद्घाटन बीएनएमयू के प्रति कुलपति डॉ.फारूक अली, मुख्य अतिथि समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी एवं विशिष्ट अतिथि शिक्षाप्रेमी प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार व योगाचार्य असंग स्वरूप सहित संस्थापक अध्यक्ष डॉ.ओम प्रकाश ओम व सचिव विकास कुमार रंगकर्मी की टीम द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया | स्वागतगान सृजन दर्पण की गायिका पुष्पा कुमारी ने प्रस्तुत किया वहीं मंच संचालन उद्घोषिका मुन्नी कुमारी ने किया |

बता दें कि “भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में नई पीढ़ी” विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उद्घाटनकर्ता डॉ.फारुख अली ने कहा कि संस्कृति जीवन को सरल और सुगम बनाती है | उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अपनी शांति प्रियता के कारण विश्व के सर्वाधिक देशों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है |

इस अवसर पर मधेपुरा के डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम कहे जाने वाले समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने अपने संबोधन में कहा कि नई पीढ़ी को अपने अतीत के प्रति सम्मान घटता जा रहा है, भारतीय युवा वर्ग भारतीयता से दूर होता जा रहा है तथा पाश्चात्य संस्कृति नई पीढ़ी पर हावी होती जा रही है | डॉ.मधेपुरी ने अपनी मंगलकारी सांस्कृतिक परंपराओं पर प्रकाश डालते हुए अपनी कविता “कैंची और सूई” सुनाकर नई पीढ़ी को संदेश दिया कि वे ताजिंदगी सूई की संस्कृति को अपने जीवन मूल्यों में शामिल कर लें | कैंची की संस्कृति तो समाज के लिए सदैव अमंगलकारी होती है, विघटनकारी होती है |

यह भी जानिए कि शिक्षा के प्रति समर्पित मधेपुरा कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार ने जहाँ यह कहा कि समय व परिस्थिति बदलने पर हमारे आचार-विचार का बदलना स्वाभाविक है फिर भी हमें अपनी मंगलकारी सांस्कृतिक परंपरा “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” को कभी नहीं छोड़नी चाहिए वहीं योगाचार्य असंग स्वरूप ने कहा कि भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण देन है हमारी संयमित जीवन शैली जो विविधताओं में भी एकता कायम करती आ रही है |

तृतीय स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ.ओम प्रकाश ओम ने 2 वर्षों के कालावधि में सृजन दर्पण के सचिव विकास कुमार के नेतृत्व में रंगकर्मी सत्यम-सौरभ-सागर-सुशील सहित राखी-प्रियंका-तनु प्रिया…. आदि के द्वारा जिले भर में पर्यावरण संरक्षण एवं राजकीय योजनाओं पर आधारित सामाजिक कुरीतियों को दूर करने संबंधी नुक्कड़ नाटक…. नृत्य नाटिका…. आदि पर विस्तार से चर्चा करते हुए यही कहा कि किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति वहां के भौगोलिक परिवेश से बनती है इसलिए बाह्य संस्कृति को अपनाने से पूर्व विचार-मंथन अवश्य करना चाहिए |

चलते-चलते बता दें कि रंगकर्मी राहुल-निखिल-गौरव, विकास सिंह- ब्रह्म प्रकाश- अमलेश-श्रवन व शिवानी आदि ने समारोह की सफलता में अपना बहुमूल्य योगदान दिया | अंत में धन्यवाद ज्ञापन सचिव सह रंगकर्मी-निदेशक विकास कुमार ने किया |

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