मधेपुरा के जिला पदाधिकारी गोपाल मीणा के स्थानान्तरण से जहाँ एक ओर आम लोगों की जुबान से अनायास यह आवाज निकली कि क्या हो पायेंगी अब मधेपुरा जिला में कदाचार मुक्त परीक्षाएँ एवं प्रतिभाओं का समुचित सम्मान ! वहीं दूसरी उनके स्थानान्तरण के समाचार को सुनते ही किसानों को जैसे सांप सूंघ गया | उनके जाने के बाद धान बिक्री आदि की राशि जो किसानों के बैंक खाते में सीधे जमा होती रही उसका क्या होगा ? क्या फिरसे बिचौलियों की चांदी कटने लगेगी ?
विदाई समारोह में उपस्थित भीड़ को संबोधित करते समय सभी वक्ताओं ने अपनी-अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में किसी तरह सफलता तो पा ली परन्तु डी.डी.सी. मिथिलेश कुमार एवं विजय झा इतने भावुक हो गये कि मुंह से आवाज तक नहीं निकल पाई, लेकिन नयनों से अश्रुकण अवश्य टपक पड़े |
अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार निराला, एन.डी.सी. प्रदीप कुमार झा, अंचलाधिकारी उदय कृष्ण यादव तथा अल्फाजों के ज़ादुगर पंचायत पदाधिकारी मो.खुर्शीद आलम सहित अन्य पदाधिकारियों ने मीणा साहब के निर्देशन में किये गये कार्यों से प्राप्त अनुभवों का बखूबी इजहार किया | समाजसेवियों की ओर से डॉ.मधेपुरी ने कहा कि चन्द रोज कवल डॉ. कलाम दुनिया को छोड़कर चले गये और आज मधेपुरा को छोड़कर गोपाल जा रहा है | डॉ मधेपुरी ने अपनी पंक्तियाँ यूँ कही :- “ दुनिया रंगमंच है अपनी, सभी भूमिका निभा रहे हैं | कोई आकर हँसा गये जी, कोई जाकर रुला रहें हैं || ”
डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि यदि हमारी चाहत में ताकत होगी तो सारा कायनात हमें मदद करने में इस तरह जुट जायेगा कि जल्द ही हमारे हर दिल अज़ीज़ मीणा साहब कोसी-कमिश्नर बनकर हमारे बीच आ जायेंगे और आपके साथ काम करेंगे, आपको नेतृत्व प्रदान करेंगे तथा कुशल मार्गदर्शन भी देंगे |
मौके पर उपस्थित आरक्षी अधीक्षक आशीष भारती द्वारा उनके स्थानान्तरण से जिन वर्गों में ख़ुशी हुई, उसे रेखांकित किया गया |
निवर्तमान जिला पदाधिकारी गोपाल मीणा ने अपने संबोधन में कहा कि अच्छी तरह काम करने के लिए अच्छे फिटनेस की जरुरत होती है जो आप समय निकाल कर करते रहेंगे | साथ ही पारदर्शिता के साथ कार्यों के निष्पादन में, गरीबों एवं छात्रों की प्रतिभा को सम्मान देने में तथा औरों के लिए जीने में “आनंद” महसूसते रहेंगे |
अंत में सबों ने फूल मालाओं से उस बेशकीमती मीणा को इस कदर ढँक दिया मानो वे अदृश्य ही हो गये | उस लम्हे को शायर खुर्शीद साहब ने अल्फाजों के जरिये भावनाओं की बारिश से नहला दिया और अन्त में उन्होंने धन्यवाद देते हुए सभा की भी विदाई कर दी |