जहाँ एक ओर लोकसभा चुनाव- 2019 के महासंग्राम के सात चरणों में होने वाले मतदान के प्रथम चरण का मतदान 11 अप्रैल (गुरुवार) को दिनभर बिहार की 4 सीटों- गया, नवादा, औरंगाबाद और जमुई में मिलाजुला कर शांतिपूर्वक चलता रहा वहीं लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का अनुष्ठान सूबे बिहार में संध्या अर्घ्य के साथ संपन्न होता रहा।
बता दें कि बुद्ध और महावीर की इस पावन धरती पर इन दोनों महापर्वों का उत्साह चरम पर रहा। बिहार की इन 4 सीटों पर 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 2.27 फ़ीसदी अधिक वोट पड़े….. वह भी तब जब दिनभर सूरज की तपिश के कारण थर्मामीटर का पारा 37 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच नाचता रहा। छठ व्रतियों ने पहले लोकतंत्र के महापर्व में सम्मिलित होकर मतदान किया और बाद में लोक आस्था के छठ महापर्व में समर्पित होकर अस्ताचलगामी सूर्य को शाम में अर्घ्यदान किया।
ध्यातव्य है कि गुरुवार (11 अप्रैल 2019) को बिहार दो महान पर्वों का साक्षी बना- (1) लोकतंत्र का महापर्व – लोकसभा चुनाव का मतदान और (2) लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का अनुष्ठान। जमुई में तो सूर्योदय के साथ ही मतदाता बूथ की ओर जाने लगे…… दिन भर वोट पड़े…… और शाम ढलते ही मतदातागण भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देने घाटों की ओर निकल पड़े। जमुई में कड़ी सुरक्षा के बीच 54% वोट डाले गये। फिर भी जहाँ पिछले चुनाव की अपेक्षा जमुई शहरी क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत कम रहा वहीँ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी चुनाव के प्रति मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
जहाँ गया के अधिकांश शहरी बूथों पर सशस्त्र महिला बटालियन की तैनाती देखी गयी, वहीं नवादा संसदीय क्षेत्र के कई बूथों पर ईवीएम में गड़बड़ी के कारण मतदान की शुरुआत विलंब से हुई….. साथ ही यह कि औरंगाबाद के सदर प्रखंड के बेली गांव के मतदाताओं द्वारा वोट के बहिष्कार करने के बावजूद पिछली बार की तुलना में लगभग पौने दो फ़ीसदी कम वोटिंग हुई।