डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम यानी अवुल पकीर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम | और आगे जानिये- अवुल हुए परदादा, पकीर दादा जी एवं जैनुलाब्दीन वालिद (पिता) | इन सबों के अन्त में सबकुछ कलाम पर जाकर ठहर जाता है क्योंकि उसे ना बेटा है न बेटी…. और ना….. | फिर भी यह कारवाँ रुकने वाला नहीं है | भारत के समस्त बेटे-बेटियों द्वारा बड़े-बड़े सपने देखने और उन्हें अमलीजामा पहनाने हेतु हमारा कलाम हमेशा जिन्दा रहेगा | कलाम केवल भारत को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व को अमन के लिए प्रेरित करता रहेगा | गीता-कुरान के तर्ज पर कर्मयोग का पाठ पढाता रहेगा तथा निरन्तर कबीरवाणी – काल करे सो आज कर…… एवं ढाई आख़र प्रेम का….. गुनगुनाता रहेगा | कलाम की इन्हीं भावनाओं को पंक्तिबद्ध कर आपका मधेपुरी हमेशा आपके साथ गुनगुनाता रहेगा – विशेष रूप से……
युवजनों के नाम डॉ. कलाम का संदेश :-
हों कर्मठ तेरे हाथ
सृजन तब करूं मैं सुख से
तुम्हारे लिए !
एक बेहतर कल के लिए
मैं दौड़ने को अब भी तैयार
तुम्हारे लिए !
इस महान पुण्य-भूमि में मैं
खोदा गया एक कुआँ हूँ
तुम्हारे लिए !
देखो सपना विकसित भारत का
उठो ! खाक हो जाऊंगा मैं
तुम्हारे लिए !
यही बस अन्दर में है आग
सुलगती दिल में बारम्बार
तुम्हारे लिए !तुम्हारे लिए !!
डॉ. मधेपुरी की कलम से …..