शनिवार, 19 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड के सिंहौल में 300 करोड़ की लागत से बनने वाले 400/220/132 केवी विद्युत उपकेंद्र का शिलान्यास किया। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत करने के बाद अपने संबोधन में सर्वप्रथम केन्द्रीय विद्युत और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह को सहरसा में पावर ग्रिड निर्माण करवाने के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में बिजली के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर काम किया गया है। जहां वर्ष 2005 में 24 लाख उपभोक्ता थे और मात्र सात सौ मेगावाट बिजली की खपत थी, वहीं वर्ष 2017 में 4,535 मेगावाट बिजली की खपत हुई और अभी 5,139 मेगावाट बिजली की खपत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त 2012 के भाषण के दौरान मैंने कहा था कि अगर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कराउंगा तो वर्ष 2015 के चुनाव में वोट मांगने नहीं जाऊॅगा। तब से बिजली के क्षेत्र में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए। 2015 में सात निश्चय के अंतर्गत हर घर तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को समय से पूर्व ही 25 अक्टूबर 2018 को प्राप्त कर लिया गया। अब हर इच्छुक व्यक्ति जिसने बिजली का कनेक्शन लेना चाहा, उन तक बिजली पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार भी राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना पर काम कर रही है और केन्द्र सरकार के सहयोग से हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में और सहुलियत हुई। समय से पूर्व लक्ष्य प्राप्ति के लिए उन्होंने राज्य सरकार के ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के योगदान की भी सराहना की।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा कि 31 दिसंबर 2019 तक सभी जर्जर तारों को बदलने का नया लक्ष्य रखा गया है। हर किसान के खेतों तक सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये 31 दिसंबर 2019 तक अलग कृषि फीडर के निर्माण का भी लक्ष्य रखा गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगले तीन साल में बिहार में सभी बिजली कनेक्शन प्रीपेड हो जाएगा। इससे लोगों को बिल भुगतान में सुविधा होगी। बिजली बिल में गड़बड़ी संबंधी शिकायतों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक बिल आने पर लोक शिकायत निवारण कानून के तहत शिकायत करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम काम के आधार पर वोट मांगते हैं, न्याय के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। हर तबके और हर इलाके के विकास में लगे हैं। बिहार की जनता जब तक मौका देगी हमारी प्रतिबद्धता बिहार की जनता के प्रति एवं काम के प्रति रहेगी। उन्होंने कहा कि बिजली के आने से अंधेरा, भूत का डर खत्म हो गया है और ढिबरी और लालटेन की उपयोगिता समाप्त हो गयी है।
कार्यक्रम को केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, लघु जल संसाधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव, एससी-एसटी कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, प्रधान सचिव ऊर्जा प्रत्यय अमृत एवं अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक पावर ग्रिड आईएस झा ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू, विधायक डॉ. अब्दुल गफूर, विधायक रत्नेश सदा, विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, नॉर्थ बिहार कॉरपोरेशन के एमडी संदीप कुमार, कोसी प्रमंडल की आयुक्त सफीना एन., मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, सहरसा की जिलाधिकारी शैलजा शर्मा, पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सहित अन्य अधिकारीगण, पावर ग्रिड इंडिया लिमिटेड के अधिकारीगण, अभियंतागण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
चलते-चलते बता दें कि सहरसा विद्युत उपकेन्द्र 300 करोड़ रूपये की लागत से 36 माह में बनकर तैयार होगा। इसके अलावा राज्य सरकार इसके संचरण के लिए रिंग नेटवर्क के निर्माण में 354 करोड़ 45 लाख रुपए खर्च करेगी। यह भी जानें कि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार में तीन पावर ग्रिड का शिलान्यास किया गया है। बकौल मुख्यमंत्री इससे बिजली आपूर्ति में काफी सहूलियत होगी और बढ़ी हुई बिजली की आवश्कताओं को पूरा किया जा सकेगा। लोगों को पूरी गुणवत्ता के साथ बिजली मिलेगी। बात जहां तक कोसी की है, यह सुखद संयोग है कि केन्द्रीय विद्युत राज्य मंत्री और राज्य सरकार के विद्युत मंत्री दोनों इसी कोसी क्षेत्र के हैं। इससे इस क्षेत्र में ऊर्जा संबंधी समस्याओं का समाधान और आसानी से हो सकेगा।