DM Navdeep Shukla, SP Sanjay Kumar, Samajsevi Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri, DDC Mukesh Kumar, DEO Yugresh Mandal and others inaugurating Faroge E Urdu Seminar at Bhupendra Kala Bhawan Madhepura.

भारत में हिन्दी के बाद उर्दू सबसे अधिक बोली जाती है

मधेपुरा के भूपेन्द्र स्मृति कला भवन में “फरोग-ए- उर्दू सेमिनार” का एक दिवसीय समारोह आयोजित किया गया जिसका विधिवत उद्घाटन एनर्जेटिक डीएम नवदीप शुक्ला (IAS), आरक्षी अधीक्षक संजय कुमार, डीडीसी मुकेश कुमार, समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी शिव कुमार शैव, डीईओ  उग्रेश प्रसाद मंडल, एनडीसी रजनीश कुमार, शौकत अली, मुर्तुजा अली के द्वारा सामूहिक रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। यह सेमिनार उर्दू निदेशालय एवं जिला प्रशासन के बैनर तले रविवार को जिले के कोने-कोने से आए छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों की भारी भीड़ की उपस्थिति में दिन भर चला।

डीएम नवदीप शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू हमारी तहजीब है। हम दिन-प्रतिदिन अपनी संस्कृति व मूल्यों को भूलते जा रहे हैं जबकि हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के साथ-साथ भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में निरंतर लगे रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उर्दू हमारी साझी संस्कृति का हिस्सा है और उसे धर्म के आईने से कभी ना देखें। अंत में डीएम शुक्ला ने यही कहा कि हिन्दी व उर्दू भाषा के विकास से ही देश तरक्की करेगा।

इस अवसर पर जिला उर्दू भाषा कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी वरीय उप समाहर्ता अल्लामा मुख्तार ने कार्यक्रम संचालन के दौरान प्रथम वक्ता के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी  को आवाज दी। डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि भारत में उर्दू, हिन्दी के बाद, सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जो किसी वर्ग विशेष की भाषा नहीं…… बल्कि आम आदमी की भाषा रही है। गंगा-यमुनी संस्कृति की तरह हिन्दी-उर्दू दोनों सगी बहने हैं। दोनों हिंदुस्तानी भाषा से भारत में ही जन्म ग्रहण की है। इन दोनों भाषाओं को एक साथ देखने पर ही हिंदुस्तान की परिकल्पना पूरी हो सकती है। जैसे कथाकार प्रेमचंद आरंभ में उर्दू में लिखते थे और अमीर खुसरो हिन्दी के लिए बहुत कुछ करते रहे….. रहीम और रसखान को हिन्दी जगत कभी नहीं भूलेगा।

यह भी बता दें कि जहाँ अपर समाहर्ता शिव कुमार शैव ने कहा कि हिन्दी पहले उर्दू के नाम से जानी जाती थी और उर्दू हिन्दी के नाम से…… वहीं डॉ.शांति यादव ने गजल की चंद पंक्तियां सुनाकर अपने संबोधन में यही कहा कि उर्दू रुमानियत व नजाकत वाली भाषा है। प्रो.गुलहसन, मो.शौकत अली, मुर्तुजा अली सहित सारे वक्ताओं ने कहा कि हिन्दी-उर्दू गंगा-यमुनी संस्कृति की भाषा है जिसे धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। सभी लोग उर्दू से नाता जोड़ें और इसे अपनाएं।

चलते-चलते यह भी बता दें कि जिले के सभी प्रखंडों से आए छात्र-छात्राएं भाषण प्रतियोगिता में भाग लिए और बेहतर प्रदर्शन करने पर उन्हें आयोजक मंडल की ओर से पुरस्कार स्वरूप नकद राशि प्रदान किया गया। मोमेंटो व प्रमाण पत्र भी जिला प्रशासन की ओर से दिया गया। जिले के कोने-कोने से आए प्रतिभागियों की इतनी भीड़ थी कि कला भवन का हाल छोटा पड़ गया और कुछ छात्रों को उर्दू भाषा के विकास पर बोलने का अवसर चाहकर भी नहीं मिल पाया।

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