मधेपुरा सीट के लिए शरद ढूंढ़ रहे पप्पू का हल

लोकतांत्रिक जनता दल बनाकर नए सिरे से अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे शरद यादव परेशान हैं इन दिनों। उनकी परेशानी की वजह है मधेपुरा लोकसभा सीट जहां से वे चुनाव लड़ना चाहते हैं। दरअसल यहां एक म्यान में दो तलवार की स्थिति आन पड़ी है उनके सामने और ये दूसरी तलवार हैं मधेपुरा के वर्तमान सांसद पप्पू यादव। महागठबंधन का उम्मीदवार बनकर शरद एनडीए से लोहा लें उससे पहले उन्हें पप्पू का हल ढूँढ़ना पड़ रहा है। प्रश्न उठता है कि पप्पू उनके लिए सीट छोड़ें क्यों? वे तो स्वयं इस जुगत में हैं कि किसी तरह महागठबंधन में उनकी इंट्री हो जाए। राजनीति के माहिर खिलाड़ी शरद जानते हैं कि अगर वे एनडीए के विरुद्ध महागठबंधन के उम्मीदवार बन जाएं और पप्पू भी वहां से खड़े हो जाएं तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा और ऐसे में एनडीए को रोकना असंभव-सा होगा क्योंकि पप्पू यादव का भी वोट बैंक कमोबेश वही है जो आरजेडी या महागठबंधन का है।
इन सारी परिस्थितियों के बीच शरद यादव इस कोशिश में हैं कि लालू प्रसाद यादव की रजामंदी से पप्पू यादव को मधेपुरा से हटाकर सुपौल या झंझारपुर से चुनाव लड़वाया जाय। बता दें कि सुपौल से पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की मौजूदा सांसद हैं। लिहाजा, इस बात की संभावना नगण्य है कि पप्पू सुपौल से लड़ें। ऐसे में झंझारपुर उनका नया ठिकाना हो सकता है। ये सभी संसदीय क्षेत्र यादव बहुल हैं और दोनों यादव नेता इसका लाभ लेना चाहते हैं। हालांकि आरजेडी सुप्रीमो ने अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं किया है।
गौरतलब है कि पप्पू यादव पूर्णिया से तीन बार सांसद रह चुके हैं और उनके लिए पूर्णिया एक बेहतर विकल्प हो सकता था लेकिन सूत्रों के मुताबिक पप्पू स्वयं वहां से चुनाव लड़ना नहीं चाहते। इसके पीछे उनकी कुछ राजनीतिक मजबूरियां बताई जा रही हैं। चलते-चलते यह भी बता दें कि साल भर पहले लालू परिवार के खिलाफ आग उगलने वाले पप्पू इन दिनों लालू के गुण गाने में लगे हैं। इसे आरजेडी खेमे से उनकी बढ़ती नजदीकी के रूप में देखा जा रहा है और यह बात भी शरद को परेशान कर रही है।

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