लोकसभा चुनाव के पूर्व सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भाजपा को पछाड़ दिया है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जहां उसने भाजपा को करारी शिकस्त दी है, वहीं मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस को बढ़त मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उदय के बाद ऐसा पहली बार है जब कांग्रेस ने सीधी लड़ाई में भाजपा को मात दी है। हालांकि कांग्रेस को मिजोरम में मात खानी पड़ी है। राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट को दो तिहाई बहुमत मिलने से वह उत्तर-पूर्व में अपना आखिरी किला भी गंवा चुकी है। वहीं, तेलंगाना में टीआरएस ने दो तिहाई बहुमत से जीत दर्ज कर चुनाव को एकतरफा कर दिया है।
बहरहाल, इन चुनावी नतीजों से ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा देने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव से पहले तगड़ा झटका लगा है। मोदी और शाह की जोड़ी कहीं न कहीं ‘अति’आत्मविश्वास का शिकार हो चली थी। अब उन्हें नए सिरे से आत्ममंथन करने की जरूरत है। उधर पांच में से तीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणाम कांग्रेस के लिए संजीवनी बनकर आए हैं। अब वह 2019 के आम चुनावों के लिए पूरे आत्मविश्वास के साथ मायावती, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू जैसे क्षत्रपों के साथ गठबंधन की टेबल पर बात कर सकेगी। इस संभावना से भी हरगिज इनकार नहीं किया जा सकता कि ये चुनाव-परिणाम निकट भविष्य में देश में कई नए समीकरणों और गठबंधनों को जन्म दे सकते हैं।
बहरहाल, पांचों विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हम जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा, जीत और हार जीवन का अभिन्न हिस्से हैं। आज के परिणाम लोगों की सेवा करने और देश के विकास के लिए और कठोर परिश्रम करने के हमारे संकल्प को मजबूत करेंगे। उधर नए आत्मविश्वास से लबरेज राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा की विचारधारा पर निशाना साधते हुए कहा ”हम किसी को देश से हटाना या मिटाना नहीं चाहते हैं। हमारी लड़ाई भाजपा की विचारधारा से है। हमने उन्हें आज हराया है और 2019 में भी हराएंगे। कांग्रेस पार्टी ‘मुक्त’ करने की विचारधारा में विश्वास नहीं करती। विपक्ष को खत्म करने की सोच भाजपा की है।”
कुल मिलाकर, इन चुनाव परिणामों के बाद भाजपा को इस गलतफहमी से निकलना ही होगा कि सिर्फ मोदी के चेहरे को आगे कर सभी चुनाव जीते जा सकते हैं। अब वह एंटी-इनकम्बेन्सी फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर सकती। उसे फिर से विकास के एजेंडे पर लौटना ही होगा। उधर कांग्रेस को भी चाहिए कि वह खुशफहमी की शिकार ना हो। उसे ध्यान रहना चाहिए कि भाजपाशासित जिन तीन राज्यों में उसकी जीत हुई है, उन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस के अलावे कोई और मजबूत विकल्प नहीं था। जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां दिल्ली जीतने के लिए उसे अभी बहुत मेहनत करनी होगी।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप