बिहार में सत्तारूढ़ जदयू ने राज्य में सहयोगी भाजपा के हंगामे के बावजूद पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के पद पर कब्जा कर लिया है। वहीं, इस चुनाव में भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने उपाध्यक्ष समेत तीन पदों पर जीत हासिल की।
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए कल हुए चुनाव में छात्र जदयू से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मोहित प्रकाश और कोषाध्यक्ष पद पर कुमार सत्यम निर्वाचित घोषित किए गए। बता दें कि इससे पूर्व जदयू की छात्र इकाई ने 2012 में संयुक्त सचिव का पद जीता था। इस बार अध्यक्ष पद पर काबिज होना उसके लिए बड़ी उपलब्धि कही जाएगी। वैसे एबीवीपी को भी चुनाव-परिणाम से संतुष्ट होना चाहिए कि उसकी झोली में शेष तीनों पद गए हैं। एबीवीपी उम्मीदवार अंजना सिंह उपाध्यक्ष, मणिकांत मणि महासचिव और रवि राज संयुक्त सचिव निर्वाचित घोषित किए गए हैं।
इससे पूर्व छात्र संघ चुनाव प्रचार के अंतिम दिन देर शाम जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात का छात्र संगठनों और भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने विरोध किया। यही नहीं, एबीवीपी के कार्यकर्ता रवि करण को हिरासत में रखे जाने के विरोध में अगले दिन एक धरने का आयोजन किया गया। इसमें भाजपा के स्थानीय विधायक अरूण कुमार सिन्हा और विधायक सह भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नीतिन नवीन ने भी हिस्सा लिया। इन नेताओं ने प्रशांत किशोर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने, पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव को प्रभावित करने के लिए कुलपति सहित सभी चुनाव पदाधिकारियों पर अपने उम्मीदवारों के पक्ष में दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी तक की मांग की थी। उधर प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था कि पटना यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में संभावित हार की घबराहट मेरी गाड़ी पर पत्थर मारने से कम नहीं होगी।
बहरहाल, खासा हंगामेदार रहे इस चुनाव की गौर करने वाली बात यह रही कि जदयू और भाजपा की छात्र इकाईयों की आपसी तनातनी के बावजूद पांचों पद इन्हीं दो पार्टियों के पास गए। राजद, कांग्रेस, वामदल और जाप की छात्र इकाईयों के हाथ कुछ भी नहीं लगा। एनडीए के लिए जहां ये बात संतोष देने वाली है, वहीं आगामी लोकसभा चुनाव के संभावित महागठबंधन के लिए ये आत्ममंथन का समय है। और हाँ, यह रेखांकित करना भी जरूरी है कि एनडीए के घटक दलों जदयू और भाजपा को भी इस चुनाव से संबंधों में आई कड़वाहट को दूर करने के लिए कई स्तरों पर संवाद करना होगा।