Dr.Bhupendra Narayan Madhepuri addressing youths on the occasion of 140th birthday of Sadhu Thawarn Das Leelaram Vaswani as Shakhar Diwas at Madhepura.

शेर बनो कभी कुत्ता मत बनना- वासवानी

मधेपुरा में साधु थांवरदास लीलाराम वासवानी जैसे देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी की 140 वीं जयंती उनके परम श्रद्धालु शिष्य निर्मल-किरण की पूरी टीम द्वारा सर्वाधिक उत्साह पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने सर्वप्रथम साधु टीएल वासवानी एवं उनके शिष्य दादा जेपी वासवानी की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की। डॉ.मधेपुरी ने कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन डीपीएस के निदेशक सुमित्र व निर्मल-किरण टीम के सदस्यों के साथ दीप प्रज्वलित कर किया।

बता दें कि आजादी से पूर्व हैदराबाद सिंध के रहने वाले और बाद में पुणे में ‘वासवानी मिशन’ स्थापित कर आध्यात्मिक गुरु साधु वासवानी एवं शिष्य जशन वासवानी द्वारा विश्व शांति के साथ-साथ शाकाहार एवं अबोल जानवरों के अधिकारों को लेकर दुनिया को जागरूक किया जाता रहा। सभी लोगों को अपने से नीचे वालों पर उपकार करने की बातें कही जाती रही।

उद्घाटनकर्ता के रूप में भौतिकी के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर व मुख्य वक्ता डॉ मधेपुरी ने उपस्थित बच्चों एवं बुजुर्गों से यही कहा कि जब साधु वासवानी ने अपने शिष्य दादा जेपी वासवानी के भौतिकी प्रयोगशाला में एक्स-रे मशीन के उद्घाटन के बाद टेलीस्कोप दिखाते हुए सांस से लेंस को धुंधला कर दिया और एक बार फिर अपने शिष्य भौतिकी के गोल्ड मेडलिस्ट प्रोफेसर जे पी वासवानी को उसमें देखने को कहा तो इस बार शिष्य जेपी को कुछ दिखाई नहीं दिया इस पर साधु वासवानी ने यही कहा-

“जैसे नमी की झीनी सी परत सारे सितारों को छिपा सकती है, इसी प्रकार अहंकार, घमंड व स्वार्थ के बादल हमें उस सर्वव्यापी ईश्वर को नहीं देखने देते…….. अपने आंतरिक नेत्रों के लेंसों को साफ करने पर तुम भी प्रभु से प्रत्यक्ष रूप में वार्तालाप करने लगोगे।”

यह भी जानिए कि कार्यक्रम में उपस्थित सारे बच्चों व बुजुर्गों द्वारा मधेपुरा के मुख्य मार्गों पर “शाकाहार दिवस” के नारों के साथ-साथ तख्तियों पर स्लोगन तथा टोपियों पर “सबों को जीने का अधिकार चाहिए”- वाली शांति यात्रा को डॉ.मधेपुरी ने हरी झंडी दिखा कर विदा किया।

नगर भ्रमण से लौटकर आए शांति यात्रियों से संदेश स्वरूप डॉ.मधेपुरी ने यही कहा कि शाकाहारी जीवन जीने वाले जेपी वासवानी सिंध के ऐसे पहले व्यक्ति रहे हैं जिन्होंने 19 वर्ष की अल्पायु में ही बम्बई यूनिवर्सिटी से भौतिकी में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्णता प्राप्त की……. और जिन्होंने शोध के साथ अपनी मास्टर्स की डिग्री ही पूरी न की बल्कि विश्व विख्यात वैज्ञानिक डॉ.सीवी रमन ने जब इनके शोध को जांचा तो उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा भी की। डॉ.मधेपुरी ने अंत में यही कहा- साधु वासवानी अपने शिष्यों से सदा यही कहा करते…. शेर बनो कभी कुत्ता मत बनना। कुत्ता हमेशा फेंके गए बाॅल की ओर दौड़ता है परंतु शेर फेंकने वाले को देखता है…. तुम भी सुख-दुख देने वाले ईश्वर की ओर देखो….. उन्हीं का चिंतन करो….. सुख-दुख की चिंता कभी मत करो।

अंत में निर्मल-किरण वासवानी की पूरी टीम द्वारा सबों को शाकाहार दिवस पर शाकाहारी भोजन कराया गया और प्रमोद कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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