बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग और विश्व बैंक के आर्थिक सहयोग से पटना एनआईटी में चल रहा है मिट्टी से पक्की सड़क बनाने पर काम जिसमें सीमेंट, चूना-पत्थर और फ्लाई-ऐश को मिट्टी में मिलाकर पत्थर जैसी मजबूती वाली सड़क (प्रति किलोमीटर ₹50 लाख रूपये बचत के साथ) वरदान साबित हो रही है। क्योंकि, पिछले एक दशक में गिट्टी की कीमत में 3 गुने की वृद्धि हुई है।
बता दें कि प्रथम चरण में भागलपुर, पूर्णिया आदि जिलों की ग्रामीण सड़कों में प्रायोगिक तौर पर इसका प्रयोग सफल रहा है। इस प्रकार की सड़कों में बाढ़ और बहाव में भी टिके रहने की क्षमता प्रायोगिक रूप से देखी गई है।
जानिए कि कंकड़-पत्थर और अलकतरे से बनने वाली सड़कें अब पुरानी हुई। फिलहाल मिट्टी में सीमेंट, चूना-पत्थर और थर्मल पावर प्लांट से निकली फ्लाई-ऐश (राख़) मिलाकर पत्थर जैसी मजबूत सड़क पटना के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी द्वारा बनाने की तैयारी चल रही है। इससे मिट्टी की भार सहन क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। साथ ही धूप, नमी, पानी आदि का प्रभाव भी बहुत कम हो जाता है।
यह भी बता दें कि पटना एनआईटी के सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच के प्रोफेसर संजीव सिन्हा के नेतृत्व में विभागीय शिक्षकों एवं छात्रों के सहयोग से सड़क बनाने की जिस तकनीक पर काम चल रहा है उसे टिकाऊ एवं सस्ती बताई जा रही है। यह भी कि इसमें सड़कों की लागत लगभग आधी हो जाएगी यानी एक करोड़ में बनने वाली सड़क इस विधि से मात्र ₹50 लाख़ में ही तैयार हो जाएगी।
चलते-चलते यह भी बता दें कि दक्षिण बिहार के 10 जिलों में 20 स्थानों की मिट्टी की जाँच एनआईटी द्वारा की जा रही है। अधिकांश जिले बाढ़ प्रभावित होने के कारण यहाँ की सड़कें पानी में डूब जाने के बाद भी टिकी रहे- ऐसी क्षमता विकसित की जा रही है। कौन सी मिट्टी इस नई तकनीक के लिए बेहतर होगी, इसकी पड़ताल भी पिछले 6 माह से की जा रही है।