आज 31 अक्टूबर को कृतज्ञ राष्ट्र संपूर्ण श्रद्धा के साथ लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की 143 वीं जयंती मना रहा है। सुबह सवेरे आयोजित “रन फॉर यूनिटी” ने यह साबित कर दिया कि संसार में सबसे बड़े हैं हमारे लौह पुरुष……. और लौह पुरुष की 182 मीटर सर्वाधिक ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी उन्हीं के समान है- अटल और अडिग। मजबूती ऐसी की 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं और 6.5 रिक्टर पैमाने पर आये भूकंप के झटकों में भी मूर्ति की स्थिति बरकरार रहेगी।

बता दें कि आज ही गुजरात के नर्मदा जिले के केवाडिया में सुबह 10:00 बजे लौह पुरुष की प्रतिमा का लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने- अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-
सरदार पटेल एक ऐसी महान शख्सियत थे जिनकी भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण रही। वे एक ऐसे जननेता थे जो सदैव किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहे। सरदार पटेल को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में याद किया जाता रहेगा…..! 550 से अधिक देशी रियासतों का एकीकरण कर एक संगठित भारत की रचना में उनके महत्वपूर्ण योगदानों को हमेशा याद करते रहेंगे हम…. सब ! भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले उस महान शख्सियत सरदार पटेल की “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” के प्रति आज यह कृतज्ञ राष्ट्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
संपूर्ण भारत इस मायने में एक मत है कि एकीकृत भारत का पूरा श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल के रणनीतिक कौशल और उनकी बुद्धिमत्ता को जाता है। पटेल ने एक के बाद एक समाधान निकाला और देश को एक सूत्र में बांधा। उन्होंने जूनागढ़ , हैदराबाद……. राजस्थान आदि अनेकानेक राजवाड़ा को मिला-मिला कर एकीकृत भारत का निर्माण किया। तभी तो पटेल को एक मात्र सक्षम व्यक्ति मानते हुए महात्मा गांधी ने राज्यों की जटिल समस्याओं का हल निकालने हेतु उनसे कदम बढ़ाने के लिए कहा था।
देश के ऐसे लौह पुरुष की प्रतिमा की ऊंचाई दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के रूप में होने से भारत गौरवान्वित महसूस कर रहा है। पद्मश्री रामवनजी सुतार जैसे मूर्तिकार द्वारा डिजाइन किये गये “स्टेचू ऑफ यूनिटी” को तैयार करने में 33 महीने लगे और लगे 1700 टन ब्राँज एवं 6500 टन स्टील तथा कुल व्यय 2989 करोड़ लगे जहां मूर्ति निर्माण में सिर्फ 1653 करोड़ लगे।
भला क्यों न होगा चार धातुओं से बनी स्टेचू पर इतना खर्च जबकि 1,80,000 (एक लाख अस्सी हजार) टन सीमेंट-कंक्रीट एवं 18500 (अठारह हज़ार पाँच सौ) टन स्टील नींव में ही डाला गया है। इसके अलावे 169000 गांवों के किसानों से 135 मेट्रिक टन लोहे मूर्ति निर्माण हेतु दान मिले। यही कारण है कि अमेरिका की “स्टैचू ऑफ लिबर्टी” से दुगुनी ऊंची प्रतिमा बनी है भारत में पटेल की “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी”- जिसे अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री ने भारत की 30 नदियों के जल से जलाभिषेक किया और सेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा बरसाए गए फूल। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मची रही धूम।
इस राष्ट्रीय गौरव के अवसर पर जब मधेपुरा अबतक द्वारा समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी से बातें की गई तो डॉ.मधेपुरी ने कहा कि सरदार पटेल जैसे राष्ट्र पुरुष को सम्मान दिये जाने पर देश के रहनुमाओं को किसी प्रकार की ओछी राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरदार पटेल न होते तो क्या आज यह एकीकृत भारत होता…….! कदापि नहीं !!