पुस्तक के रूप में आया नीतीश के संसदीय भाषणों का संकलन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संसदीय भाषणों का संकलन मंगलवार को पुस्तक के रूप में जारी किया गया। बिहार विधान परिषद के उपभवन स्थित सभागार में आयोजित ‘नीतीश कुमार : संसद में विकास की बातें’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, बिहार विधान परिषद के उपसभापति हारूण रशीद, मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और श्रवण कुमार तथा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह समेत कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विधानपार्षद प्रो. रामवचन राय ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह नीतीश कुमार एक मजबूत नेता हैं। यह भी सराहनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री बनने से पहले महत्वपूर्ण केन्द्रीय मंत्रालयों की जिम्मेवारी संभालने के बावजूद उनकी ईमानदारी निष्कलंक है। उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग हुए जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से बिना भटके ईमानदारी और संकल्प से इतिहास बनाया। नीतीश कुमार इसके जीवित उदाहरण हैं।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार में हिम्मत है कि वे पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने और शराबबंदी जैसे असाधारण निर्णय ले सकें। मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने बड़ी लकीर खींच दी है, जिसकी बराबरी शायद अगले 20-25 वर्षों में भी कोई नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने केवल मुख्यमंत्री के नाते ही उल्लेखनीय काम नहीं किया है, रेलमंत्री के तौर पर भी उन्होंने ‘बेंचमार्क’ स्थापित किया। आमतौर पर यह धारणा थी कि विकास कार्यों से वोट नहीं मिलता है, मगर नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया कि विकास से ही वोट मिलता है।

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार 1985 में पहली बार जीतकर विधानसभा में आए और उसी समय से उनके भविष्य की संभावनाएं दृष्टिगोचर होने लगी थीं। वे आधुनिक बिहार के विश्वकर्मा हैं।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि समाज और राजनीति को नीतीश कुमार जैसे विजनरी की जरूरत थी और समय ने इसे पूरा किया। उन्होंने राजनीति को संपदा और सत्ता का नहीं, सेवा का केन्द्र बनाया। उनके नेतृत्व में बिहार में नवनिर्माण का दौर चल रहा है।

गौरतलब है कि प्रभात प्रकाशन से आई इस पुस्तक का संपादन नरेंद्र पाठक ने किया है। पुस्तक में नीतीश कुमार द्वारा फरवरी 1990 से 24 अक्टूबर 2005 तक संसद में दिए गये भाषणों का संकलन है। पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि एक सांसद के रूप में नीतीश कुमार ने जो बातें अपने भाषण के रूप में संसद में कही थीं, उन्हीं बातों को जब वह मुख्यमंत्री बने तो अपने शासन के एजेंडे में शामिल किया। बिजली, सड़क, लड़कियों की शिक्षा और सात निश्चय का एजेंडा — इन सभी बातों को एक सांसद के रूप में नीतीश लोकसभा में पहले ही रेखांकित कर चुके हैं। संसदीय यात्रा के क्रम में नीतीश कुमार सरकार और समाज से जुड़े मुद्दों को आम विमर्श के केंद्र में कैसे लाए और शासन में आने के बाद उन मुद्दों को जमीन पर उतारने में कैसे जुट गए, इसकी पूरी तस्वीर पुस्तक में देखी जा सकती है।

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