रायबहादुर आशुतोष मुखर्जी के पौत्र एवं एडवोकेट शांति प्रसाद मुखर्जी के पुत्र जस्टिस सुरेश चन्द्र मुखर्जी ने 85 वर्ष की उम्र में पटना के महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल में 26 सितंबर को रात्रि 8:30 में पत्नी डॉ.नंदिता मुखर्जी एवं पुत्र द्वय डॉ.कौशिक एवं ई.अनिर आदि की उपस्थिति में अंतिम सांस ली |
बता दें कि जस्टिस एस.सी.मुखर्जी का जन्म 4 सितंबर 1933 ई. को मधेपुरा में हुआ था | आरंभिक शिक्षा तत्कालीन सीरीज इंस्टीट्यूट (वर्तमान एसएनपीएम स्कूल) में हुई थी | पटना विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री प्राप्त कर मधेपुरा सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस आरंभ की | वर्ष 1958 में उन्होंने न्यायिक सेवा में योगदान देने के बाद विभिन्न जगहों पर कार्य करते हुए अंततः पटना सिविल कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पदपर वर्ष 1984 से कार्यारंभ किया | वर्ष 1986 से न्यायमूर्ति के रूप में माननीय उच्च न्यायालय पटना में कार्यरत हुए | बाद में महामहिम राज्यपाल बिहार के कानूनी सलाहकार एवं मगध विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति के पद पर भी कार्यरत रहे | वे सिंहेश्वर टेंपल ट्रस्ट के अध्यक्ष भी रहे | जब भी वे मधेपुरा आते तो पड़ोस में रहने के कारण समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को अवश्य खबर करते और चिकित्सीय परामर्श हेतु लोकप्रिय चिकित्सक डॉ.अरुण कुमार मंडल से मिलने के लिए डॉ.मधेपुरी को साथ में अवश्य ले जाते |
यह भी बता दें कि जस्टिस एससी मुखर्जी दुर्गा पूजा के अवसर पर प्राय: मधेपुरा में ही रहना पसंद करते थे | वे अपने पुराने साथियों से मिलने की कोशिश भी किया करते | कुछ माह पूर्व वे मधेपुरा में सबों से मिलकर पटना गये ही थे | जस्टिस मुखर्जी ने स्वस्थ जीवन जीते हुए सारे पारिवारिक सदस्यों- पत्नी डॉ.नंदिता मुखर्जी, दो पुत्र- प्रथम डॉ.कौशिक मुखोपाध्याय (इंग्लैंड)- पत्नी डॉ.नीलांजना, द्वितीय पुत्र ई.अनिर बाण (चेन्नई)- पत्नी रुमिला एवं पौत्र-पौत्री- आकाश, अभिलाष, आयुषा, तनीषा के बीच अंतिम सांस ली | गुरुवार यानि 27 सितंबर की शाम को पटना के गुलबी घाट पर बड़े पुत्र डॉ.कौशिक मुखोपाध्याय ने उन्हें मुखाग्नि दी और वे पंचतत्व में विलीन हो गये | मधेपुरा बार एसोसिएशन एवं सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति ने भी जस्टिस मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की है |