विपक्षी दलों का शक्ति-परीक्षण है भारत बंद

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और कमजोर होते रुपये के खिलाफ कांग्रेस ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया है। कैलास मानसरोवर की यात्रा पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अनुपस्थिति में खुद सोनिया गांधी मोर्चा संभालेंगी। दिल्ली में सोनिया गांधी की अगुआई में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर सुबह 8 बजे से धरने पर बैठेंगे। पार्टी ने कार्यकर्ताओं से बंद के दौरान शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की हिंसा न करने की अपील की है। कांग्रेस का दावा है कि 21 विपक्षी दलों और कई व्यापार संगठनों ने बंद को समर्थन दिया है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नरेंद्र मोदी सरकार पर पिछले 52 महीनों में देश की जनता से 11 लाख करोड़ रुपये ‘लूट’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार नहीं बल्कि ‘मुनाफाखोर कंपनी’ चला रहे हैं। कांग्रेस की मांग है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए जिससे इसकी कीमतें 15 से 18 रुपये प्रति लीटर गिर सकती हैं।

सोमवार के बंद को समाजवादी पार्टी, डीएमके, एनसीपी, आरएलडी, जेडीएस, आरजेडी समेत लगभग सभी विपक्षी दलों ने समर्थन का ऐलान किया है। वाम दलों एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने भी कांग्रेस के बंद को समर्थन का ऐलान किया है। वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी की टीएमसी ने बंद से खुद को दूर रखा है। टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी ने कहा कि जिस मुद्दे पर बंद बुलाया गया है, उसे हमारा समर्थन है लेकिन पार्टी किसी भी तरह के बंद या हड़ताल के खिलाफ है। वहीं एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने जहां बंद को समर्थन की कांग्रेस की अपील ठुकरा दी है, वहीं बीजू जनता दल ने तटस्थ रुख अपनाया है। बीजेडी प्रवक्ता समीर रंजन दास ने कहा, ‘हम भारत बंद का न तो समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध।’

बहरहाल, कहना गलत ना होगा कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस भारत बंद को सफल बनाने के लिए एड़ी-चोटी का पसीना एक कर देंगे। उन्हें पता है कि ये बंद एक तरह से उनकी ताकत और एकता दोनों का शक्ति-परीक्षण है।

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