मात्र 20 वर्षीय हरियाणवी एथलीट नीरज चोपड़ा जकार्ता में जारी इस 18वें एशियन गेम्स के उद्घाटन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक भी रहे हैं। सोमवार को एशियाई खेलों के नौवें दिन नीरज ने पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम कर भारत का नाम रोशन किया है।
बता दें कि इस तरह भारत ने पहली बार एशियन गेम्स की भाला फेंक (Javelin Throw) स्पर्धा में सुनहरा तमगा अपने नाम किया है। जानिए कि नौ दिनों के खेल में भारत का आठवां और एथलेटिक्स में दूसरा स्वर्ण पदक है। भारत की तरफ से एशियन गेम्स में भाला फेंक पुरुष वर्ग में 36 वर्ष पूर्व 1982 ई. में नई दिल्ली में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक जीता था।
हरियाणा के पानीपत में जन्मे नीरज ने मधेपुरा अबतक को बताया कि उनके छह प्रयासों में से दो (दूसरे और छठे) को अयोग्य घोषित कर दिया गया…… लेकिन तीसरे प्रयास में ही नीरज ने अपनी सर्वश्रेष्ठ थ्रो 88.06 मीटर की इस कदर फेंकी कि एशियन गेम्स के भाला फेंक स्पर्धा वाले स्वर्ण पदक पर भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा का नाम अंकित करा लिया क्योंकि रजत पदक जीतने वाले चीन के लियु क्रिझन की जेवलिन नीरज के मुकाबले 5.84 मीटर पीछे रही और कांस्य पदक जीतने वाले पाकिस्तान के नदीम अरशद की जेवलिन 7.31 मीटर पीछे गिरी। नीरज के तीसरे थ्रो के बाद कोई भी खिलाड़ी उनके आस-पास तक नहीं पहुंच सका।
चलते-चलते यह भी बता दें कि नीरज ने एशियन गेम्स के 67 साल के इतिहास में पहली बार भारत के लिए जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। यह भी जान लें कि 1951 ई. से ये एशियन गेम्स आयोजित हो रहे हैं, तब से मात्र एक ‘कास्य’ ही नसीब हुआ था।
यह भी कि नीरज खुद के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ते जा रहे हैं। गत मई महीने में दोहा में आयोजित ‘डायमंड लीग सीरीज’ के पहले चरण में नीरज ने 87.43 मीटर के साथ रिकॉर्ड बनाया था। नीरज के नाम पर 86.48 मीटर का जूनियर विश्व रिकॉर्ड अभी भी कायम है।