Candle light March in memory of Kusha Trasadi 2008 at Bhupendra Chowk Madhepura.

कुसहा त्रासदी के 10 वर्ष बाद भी 26% पीड़ितों को ही मिला है घर

सूबे की सरकार की कोसी फ्लड नीड्स एवं एसेसमेंट रिपोर्ट स्वयं इस बात की पुष्टि करती है कि कुसहा त्रासदी- 2008 में 2,36,632 (दो लाख छत्तीस हजार छह सौ बत्तीस) घर पूर्णरूपेण ध्वस्त हो गए थे जिनमें से आज तक मात्र 62000 (बासठ हजार) के लगभग ही घर बन पाए हैं जो  कुल ध्वस्त घरों की संख्या के लगभग 26% हैं।

बता दें कि स्थानीय भूपेन्द्र चौक  पर कैंडल मार्च निकालकर कुसहा त्रासदी के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के क्रम में समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.आलोक कुमार एवं कोसी नव निर्माण मंच को अपनी जिंदगी देने वाले महेंद्र यादव ने सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि दो-दो बार विश्व बैंक से कर्ज लिए जाने के बाद भी आज तक सरकारी स्तर से कोसी वासियों का दर्द कम नहीं किया जा सका।

यह भी जानिये कि सरकार द्वारा कुसहा त्रासदी एवं पुनर्वास हेतु कोसी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट नाम से 220 मिलियन अमेरिकन डॉलर का कर्ज पहली बार विश्व बैंक से लिया गया तथा दूसरी बार कोसी बेसिन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के नाम से 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का। बावजूद इसके आज भी कुसहा त्रासदी में मरे हुए लोगों के परिजन अपने हिस्से के अनुग्रह अनुदान राशि के लिए सरकारी कार्यालयों एवं बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं। कितनों के हाथ में तब का दिया गया चेक भी फटने लगा है।

यह भी बता दें कि पुनर्वास हेतु 28,000 (अट्ठाईस हजार) रुपया में घर बनाने की योजना चली थी उसे भी अब बंद करा दिया गया जबकि पूर्ण क्षति एवं आंशिक क्षति वाले घरों की संख्या को जोड़ दें तो अभी भी 1,01,462 (लगभग  एक लाख) लोग बेघर हैं….।

संयोजक महेंद्र यादव, सुभाष चंद्र, तुर्वसु, वासीम, मुन्ना-रमन-मनोज, अजय-शंभू-माधव, संदीप-राजेश-रणधीर, सहित अन्य इप्टाकर्मियों ने आपदाग्रस्त कोसी की समस्याओं के दीर्घकालिक हल निकालने, पीड़ितों के बीच सहायता राशि वितरित करने एवं किसानों को फसल के समर्थन मूल्य दिलाने के साथ-साथ पलायन कर रहे मजदूरों के लिए बंद पड़े सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने हेतु सरकार से मांग की।

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